Posted in जीवन चरित्र

लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल


लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल

आज हम जिस विशाल भारत को देखते हैं उसकी कल्पना बिना वल्लभ भाई पटेल के शायद पूरी नहीं हो पाती. सरदार वल्लभ भाई पटेल एक ऐसे इंसान थे जिन्होंने देश के छोटे-छोटे रजवाड़ों और राजघरानों को एक कर भारत में सम्मिलित किया. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की जब भी बात होती है तो सरदार पटेल का नाम सबसे पहले ध्यान में आता है. उनकी दृढ़ इच्छा शक्ति, नेतृत्व कौशल का ही कमाल था कि 600 देशी रियासतों का भारतीय संघ में विलय कर सके.

भारत के प्रथम गृह मंत्री और प्रथम उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को लौह पुरुष का दर्जा प्राप्त था. उनके द्वारा किए गए साहसिक कार्यों की वजह से ही उन्हें लौह पुरुष और सरदार जैसे विशेषणों से नवाजा गया. बिस्मार्क ने जिस तरह जर्मनी के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई उसी तरह वल्लभ भाई पटेल ने भी आजाद भारत को एक विशाल राष्ट्र बनाने में उल्लेखनीय योगदान दिया. बिस्मार्क को जहां जर्मनी का ‘आयरन चांसलर’ कहा जाता है वहीं पटेल भारत के लौह पुरुष कहलाते हैं.

Sardar-Vallabhai-Patelवल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के नाडियाड में उनके ननिहाल में हुआ. वह खेड़ा जिले के कारमसद में रहने वाले झावेर भाई पटेल की चौथी संतान थे. उनकी माता का नाम लाडबा पटेल था.

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बचपन से ही उनके परिवार ने उनकी शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया. हालांकि 16 साल में उनका विवाह कर दिया गया था पर उन्होंने अपने विवाह को अपनी पढ़ाई के रास्ते में नहीं आने दिया. 22 साल की उम्र में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की और ज़िला अधिवक्ता की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए, जिससे उन्हें वकालत करने की अनुमति मिली.

अपनी वकालत के दौरान उन्होंने कई बार ऐसे केस लड़े जिसे दूसरे निरस और हारा हुए मानते थे. उनकी प्रभावशाली वकालत का ही कमाल था कि उनकी प्रसिद्धी दिनों-दिन बढ़ती चली गई. गम्भीर और शालीन पटेल अपने उच्चस्तरीय तौर-तरीक़ों और चुस्त अंग्रेज़ी पहनावे के लिए भी जाने जाते थे. लेकिन गांधीजी के प्रभाव में आने के बाद जैसे उनकी राह ही बदल गई.

1917 में मोहनदास करमचन्द गांधी के संपर्क में आने के बाद उन्होंने ब्रिटिश राज की नीतियों के विरोध में अहिंसक और नागरिक अवज्ञा आंदोलन के जरिए खेड़ा, बरसाड़ और बारदोली के किसानों को एकत्र किया. अपने इस काम की वजह से देखते ही देखते वह गुजरात के प्रभावशाली नेताओं की श्रेणी में शामिल हो गए. जन कल्याण और आजादी के लिए चलाए जाने वाले आंदोलनों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के चलते उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में महत्वपूर्ण स्थान मिल गया. गुजरात के बारदोली ताल्लुका के लोगों ने उन्हें ‘सरदार’ नाम दिया और इस तरह वह सरदार वल्लभ भाई पटेल कहलाने लगे.

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सरदार पटेल और जवाहरलाल नेहरू : भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में वह कई बार जेल के अंदर बाहर हुए. हालांकि जिस चीज के लिए इतिहासकार हमेशा सरदार वल्लभ भाई पटेल के बारे में जानने के लिए इच्छुक रहते हैं वह थी उनकी और जवाहरलाल नेहरू की प्रतिस्पर्द्धा. सब जानते हैं 1929 के लाहौर अधिवेशन में सरदार पटेल ही गांधी जी के बाद दूसरे सबसे प्रबल दावेदार थे पर मुसलमानों के प्रति पटेल की हठधर्मिता की वजह से गांधीजी ने उनसे उनका नाम वापस दिलवा दिया. 1945-1946 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए भी पटेल एक प्रमुख उम्मीदवार थे. लेकिन गांधीजी के नेहरू प्रेम ने उन्हें अध्यक्ष नहीं बनने दिया. कई इतिहासकार यहां तक मानते हैं कि यदि सरदार पटेल को प्रधानमंत्री बनने दिया गया होता तो चीन और पाकिस्तान के युद्ध में भारत को पूर्ण विजय मिलती परंतु गांधी के जगजाहिर नेहरू प्रेम ने उन्हें प्रधानमंत्री बनने से रोक दिया.

आजादी के बाद भी लौह पुरुष की भूमिका: भारत आजाद तो हो गया था पर उसे यह आजादी पाकिस्तान की कीमत पर मिली थी और उसके सामने चुनौती थी अपनी छोटी-छोटी रियासतों को एक करने की वरना एक बड़े भारतवर्ष का सपना शायद चकनाचूर हो सकता था. ऐसे में सरदार वल्लभ भाई पटेल ने रियासतों के प्रति नीति को स्पष्ट करते हुए कहा कि ‘रियासतों को तीन विषयों – सुरक्षा, विदेश तथा संचार व्यवस्था के आधार पर भारतीय संघ में शामिल किया जाएगा.’

सरदार पटेल ने आज़ादी के ठीक पूर्व (संक्रमण काल में) ही पी.वी. मेनन के साथ मिलकर कई देसी राज्यों को भारत में मिलाने के लिये कार्य आरम्भ कर दिया था. पटेल और मेनन ने देसी राजाओं को बहुत समझाया कि उन्हें स्वायत्तता देना सम्भव नहीं होगा. इसके परिणामस्वरूप तीन को छोडकर शेष सभी रजवाडों ने स्वेच्छा से भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया. 15 अगस्त, 1947 तक हैदराबाद, कश्मीर और जूनागढ़ को छोड़कर शेष भारतीय रियासतें ‘भारत संघ’ में सम्मिलित हो गईं. जूनागढ़ के नवाब के विरुद्ध जब बहुत विरोध हुआ तो वह भागकर पाकिस्तान चला गया और जूनागढ भी भारत में मिल गया. जब हैदराबाद के निजाम ने भारत में विलय का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया तो सरदार पटेल ने वहां सेना भेजकर निजाम का आत्मसमर्पण करा लिया. गृहमंत्री बनने के बाद भारतीय रियासतों के विलय की ज़िम्मेदारी उन्हें ही सौंपी गई. उन्होंने अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए छह सौ छोटी बड़ी रियासतों का भारत में विलय कराया.

माना जाता है पटेल कश्मीर को भी बिना शर्त भारत से जोड़ना चाहते थे पर नेहरू जी ने हस्तक्षेप कर कश्मीर को विशेष दर्जा दे दिया. नेहरू जी ने कश्मीर के मुद्दे को यह कहकर अपने पास रख लिया कि यह समस्या एक अंतरराष्ट्रीय समस्या है. अगर कश्मीर का निर्णय नेहरू की बजाय पटेल के हाथ में होता तो कश्मीर आज भारत के लिए समस्या नहीं बल्कि गौरव का विषय होता.

सरदार पटेल का निधन 15 दिसंबर, 1950 को मुंबई में हुआ था. आज हमारा समाज ऐसे ही लौह पुरुष की तलाश में है जो समाज में किसी भी कीमत पर एकता लाने में सफल हो.

Posted in भारत का गुप्त इतिहास- Bharat Ka rahasyamay Itihaas

कभी इस देश की राष्ट्र भाषा थी ‘संस्कृत’


कभी इस देश की राष्ट्र भाषा थी ‘संस्कृत’

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कंबोडिया, वह देश है जिसकी राष्ट्रभाषा कभी संस्कृत थी। इतिहास में इसका उल्लेख है। यहां पर ६वी शताब्दी से लेकर १२ वी शताब्दी तक देवभाषा संस्कृत को राष्ट्र भाषा का दर्जा प्राप्त था। कंबोडिया का प्राचीन नाम कंबुज था।

वैसे तो कंबोडिया के उस समय इंडोनेशिया, मलय, जावा, सुमात्रा, कम्बुज, ब्रह्मदेश, सियाम, श्रीलंका, जापान, तिब्बत, नेपाल आदि देशों से उसके राजनीतिक और व्यापारिक संबंध थे। इन देशों से अपनी समन्वयी संस्कृति और संस्कृत के आधार पर कंबोडिया ( कंबूज) वर्षों से भारत के संपर्क में था। जिसका उल्लेख महाभारत में भी मिलता है।

कंबुज देश के संस्कृत शिलालेख

शोधकर्ता भक्तिन कौन्तेया अपनी ऐतिहासिक रूपरेखा में लिखते हैं कि, ‘प्राचीन काल में कम्बोडिया को कंबुज देश कहा जाता था। ९ वी से १३ वी शती तक अङ्कोर साम्राज्य पनपता रहा। राजधानी यशोधरपुर सम्राट यशोवर्मन ने बसाई थी।’

अङ्कोर राज्य उस समय वर्तमान के कंबोडिया, थायलेण्ड, वियतनाम और लाओस सभी को आवृत्त करता हुआ विशाल राज्य था। संस्कृत से जुडी भव्य संस्कृति के प्रमाण इन अग्निकोणीय एशिया के देशों में आज भी विद्यमान हैं।

कंबुज देशों में संस्कृत का महत्त्व

कंबुज शिलालेख जो खोजे गए हैं वे कंबुज, लाओस, थायलैंड, वियेतनाम इत्यादि विस्तृत प्रदेशों में पाए गए हैं। कुछ ही शिला लेख पुरानी मेर में मिलते हैं। जबकि बहुसंख्य लेख संस्कृत भाषा में ही मिलते हैं।

संस्कृत उस समय की दक्षिण पूर्वअग्निकोणीय देशों की सांस्कृतिक भाषा थी। कंबुज, मेर ने अपनी भाषा लिखने के लिए भारतीय लिपि अपनायी थी। आधुनिक मेर भारत से ही स्वीकार की हुई लिपि में लिखी जाती है।

वास्तव में ग्रंथ ब्राह्मीश ही आधुनिक मेर की मातृ.लिपि है। कंबुज देश ने देवनागरी और पल्लव ग्रंथ लिपि के आधार पर अपनी लिपि बनाई है। आज कंबुज भाषा में ७० प्रतिशत शब्द सीधे संस्कृत से लिए गए हैं, यह कहते है जिसे कौंतेय कहते हैं।

वास्तव में संस्कृत यहां की न्यायालयीन भाषा थी, एक सहस्रों वर्षों से भी अधिक समय तक के लिए उसका चलन था।सारे शासकीय आदेश संस्कृत में होते थे।

भूमि के या खेती के क्रय- विक्रय पत्र संस्कृत में ही होते थे। मंदिरों का प्रबंधन भी संस्कृत में ही सुरक्षित रखा जाता था। १२५० ई. में शिलालेख उसमें से बहुसंख्य संस्कृत में लिखे पाए जाते हैं।

Posted in हिन्दू पतन

वो गीता नही पढने देंगे.


वो गीता नही पढने देंगे.
वो राम मंदिर नही बनने देंगे,
वो सच्चा इतिहास नही जानने देंगे,
वो RSS पर प्रतिबंध लगायेगे,
वो साध्वी प्र्ग्या को फांसी देंगे,
वो बस हिंदू की नसबंदी करायेगे ,
वो लक्षित हिंसा बिल पास करेंगे ,
वो राम सेतू तोडेगे ,
वो बस मंदिरो से लाऊडस्पीकर उतारेगे,
वो सिर्फ मुसलमानो को मुआवजा देंगे..
वो अमरनाथ यात्रा पर बैन लगायेगे,
वो देवीयो की नंगी पेंटिग दिखायेगे,
वो सिर्फ हिंदू को धर्मान्तरित करायेगे,
वो भगत चंद्रशेखर को आतंकी कहेगे,
फ़िर भी हिंदू ही उन्हे वोट देगा , क्योकि वो धर्म निर्पेक्ष अथवा “”सेकुलर”” है …
पता नही मां ने बचपन मे दूध पिलाया या तेजाब ???

Posted in Rajiv Dixit

इस जहर को potentised कर के एक होम्योपैथिक anti-inflammatory दवाई बनती है


एक प्लांट होता है , Atropa Belladonna !जिसे deadly nightshade भी कहते है;
जो अत्यंत जहरीला होता है जिसे सबसे पहले रोमन सम्राट क्लौडिउस की पत्नी ने
अपने पति को मारने के लिए इस्तेमाल किया था ,,, !
जैसे ही इसे किसी को दिया जाता है इस जहर से दिल की धड़कन एक दम बढ़ जाती है और
फिर उस व्यक्ति को ह्रदयघात(heart attack हो जाता है ) और शरीर बैंगनी रंग का
हो जाता है ;
इस जहर को potentised कर के एक होम्योपैथिक anti-inflammatory दवाई बनती है
जिसे कोई भी पढ़ा लिखा होमेओपैथ आसानी से रेकोमेंड नही करता ,,, सब्जी में
डालदो तो पता ही नहीं चलता ,,, 2-3 साल पहले ब्रिटेन में एक भारतीय मूल की
महिला ने अपने पति को इसी से मारा था ,,, जो अब जेल में है !!
भारत मे 1000 से ज्यादा कंपनिया इस पोधे को बेचती है !!
________________________________
राजीव भाई की मृत्यु के बाद भी उनका रंग लगभग इसी तरह का हो गया था !
आप फोटो मे देख सकते हैं ! शायद उनको भी इसी तरह का जहर दिया गया हो !
क्यूंकि पोस्टमार्ट्म नहीं किया गया था ! इसलिए उनकी मृत्यु का राज राज ही बन
कर रह गया !
जिन लोगो को लगता है ये फोटो नकली है तो वो यहाँ click कर विडियो देख सकते हैं
!!
http://www.youtube.com/watch?v=dJpyJeSMZaw
राजीव भाई की मौत से संबन्धित कुछ सवाल हैं उनका विडियो आप यहाँ click कर देख
सकते हैं !!
http://www.youtube.com/watch?v=gB7eEq5fnMQ
__________________________________
अक्सर राजीव भाई के चाहने वाले केवल ये ही बात करते हैं कि उनकी मृत्यु
के बाद उनका चेहरा काला पड़ गया था ! पर ये बात कोई नहीं करता कि उनके सिर को
काले रंग के पोलिथीन से क्यूँ ढका हुआ है ???

एक प्लांट होता है , Atropa Belladonna !जिसे deadly nightshade भी कहते है;
जो अत्यंत जहरीला होता है जिसे सबसे पहले रोमन सम्राट क्लौडिउस की पत्नी ने
अपने पति को मारने के लिए इस्तेमाल किया था ,,, !
जैसे ही इसे किसी को दिया जाता है इस जहर से दिल की धड़कन एक दम बढ़ जाती है और
फिर उस व्यक्ति को ह्रदयघात(heart attack हो जाता है ) और शरीर बैंगनी रंग का
हो जाता है ;
इस जहर को potentised कर के एक होम्योपैथिक anti-inflammatory दवाई बनती है
जिसे कोई भी पढ़ा लिखा होमेओपैथ आसानी से रेकोमेंड नही करता ,,, सब्जी में
डालदो तो पता ही नहीं चलता ,,, 2-3 साल पहले ब्रिटेन में एक भारतीय मूल की
महिला ने अपने पति को इसी से मारा था ,,, जो अब जेल में है !!
भारत मे 1000 से ज्यादा कंपनिया इस पोधे को बेचती है !!
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राजीव भाई की मृत्यु के बाद भी उनका रंग लगभग इसी तरह का हो गया था !
आप फोटो मे देख सकते हैं ! शायद उनको भी इसी तरह का जहर दिया गया हो !
क्यूंकि पोस्टमार्ट्म नहीं किया गया था ! इसलिए उनकी मृत्यु का राज राज ही बन
कर रह गया !
जिन लोगो को लगता है ये फोटो नकली है तो वो यहाँ click कर विडियो देख सकते हैं
!!
http://www.youtube.com/watch?v=dJpyJeSMZaw
राजीव भाई की मौत से संबन्धित कुछ सवाल हैं उनका विडियो आप यहाँ click कर देख
सकते हैं !!
http://www.youtube.com/watch?v=gB7eEq5fnMQ
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अक्सर राजीव भाई के चाहने वाले केवल ये ही बात करते हैं कि उनकी मृत्यु
के बाद उनका चेहरा काला पड़ गया था ! पर ये बात कोई नहीं करता कि उनके सिर को
काले रंग के पोलिथीन से क्यूँ ढका हुआ है ???
Posted in काश्मीर - Kashmir

कश्मीर


क्या देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने कश्मीर के तत्कालीन राज्य प्रमुख शेख अबदुल्ला को उनकी कश्मीर के अलगाव वादी नीति पर इसी तरह से अड़े रहने की सलाह दी थी । एक बार तो इस बात पर भरोसा नहीं होता कि नेहरू ऐसा कर सकते हैं । शेख अब्दुल्ला ने अपनी किताब ”आतिशे चिनार” में बताया है कि दिल्ली में एक बैठक के दौरान नेहरू ने उनके कान में कहा कि ”आप कश्मीर मामले पर ऐसे ही हिचकिचाएं तो हम आपके गले में सोने की जंजीर पहना देंगे”।
कश्मीर में शेख अब्दुल्ला ने महाराजा हरिसिंह के खिलाफ जो भी कदम उठाए उन्हे वह रियासत के बहुसंख्यक वर्ग के हित में किए गए कार्य बताते हैं । जबकि ऐसा कुछ नहीं था । शेख अब्दुल्ला,जवाहरलाल नेहरू की सह पर महाराजा हरिसिंह को हटाना चाहते थे । ”दिल्ली समझौते” को अंतिम रूप देने के लिए केन्द्र की ओर से जवाहरलाल नेहरू, मौलाना आजाद, गोपाल स्वामी आय्यंगर और सर गिरिजाशंकर वाजपेयी बातचीत में हिस्सा ले रहे थे और रियासत की तरफ से मैं,(शेख अब्दुल्ला) बख्शी गुलाम मोहम्मद और मिर्जा अफजल बेग भाग ले रहे थे । महाराजा हरी सिंह को इस समझौते में क्यों नहीं बुलाया गया ये आज भी राज का विषय है । शेख अब्दुल्ला के अनुसार ”मुझे अच्छी तरह से याद है जब समझौते की धारा 370 पर बहस हो रही थी तो जवाहरलाल ने मेरे कान में बड़े मनोहर अंदाज के साथ कहा, ”शेख साहब, अगर आप हमारे साथ बगल में खड़े होने में हिचकिचाएंगे तो हम आपके गले में सोने की जंजीर पहना देंगे”। मैं जवाहरलाल को एक क्षण देखता रह गया”।
मित्रो ”आतिशे चिनार” नामक किताब में कई खुलासे किये गए है जो जवाहरलाल नेहरू की नियत पर सवाल खड़े करते है पर ये किताब मिलना आसान नहीं कारण आप भी जानते है । मित्रो आप अंदाजा लगा सकते है की ये जवाहरलाल नेहरू कितनी ही घटिया इंसान था । ये इस देश का दुर्भाग्य था की इतने दिनों तक ओ देश की बागडोर सम्हाले रखा । रही सही कसर उनके खानदान वाले पूरा कर रहे है

क्या देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने कश्मीर के तत्कालीन राज्य प्रमुख शेख अबदुल्ला को उनकी कश्मीर के अलगाव वादी नीति पर इसी तरह से अड़े रहने की सलाह दी थी । एक बार तो इस बात पर भरोसा नहीं होता कि नेहरू ऐसा कर सकते हैं । शेख अब्दुल्ला ने अपनी किताब ''आतिशे चिनार'' में बताया है कि दिल्ली में एक बैठक के दौरान नेहरू ने उनके कान में कहा कि ''आप कश्मीर मामले पर ऐसे ही हिचकिचाएं तो हम आपके गले में सोने की जंजीर पहना देंगे''।
कश्मीर में शेख अब्दुल्ला ने महाराजा हरिसिंह के खिलाफ जो भी कदम उठाए उन्हे वह रियासत के बहुसंख्यक वर्ग के हित में किए गए कार्य बताते हैं । जबकि ऐसा कुछ नहीं था । शेख अब्दुल्ला,जवाहरलाल नेहरू की सह पर महाराजा हरिसिंह को हटाना चाहते थे । ''दिल्ली समझौते'' को अंतिम रूप देने के लिए केन्द्र की ओर से जवाहरलाल नेहरू, मौलाना आजाद, गोपाल स्वामी आय्यंगर और सर गिरिजाशंकर वाजपेयी बातचीत में हिस्सा ले रहे थे और रियासत की तरफ से मैं,(शेख अब्दुल्ला) बख्शी गुलाम मोहम्मद और मिर्जा अफजल बेग भाग ले रहे थे । महाराजा हरी सिंह को इस समझौते में क्यों नहीं बुलाया गया ये आज भी राज का विषय है । शेख अब्दुल्ला के अनुसार ''मुझे अच्छी तरह से याद है जब समझौते की धारा 370 पर बहस हो रही थी तो जवाहरलाल ने मेरे कान में बड़े मनोहर अंदाज के साथ कहा, ''शेख साहब, अगर आप हमारे साथ बगल में खड़े होने में हिचकिचाएंगे तो हम आपके गले में सोने की जंजीर पहना देंगे''। मैं जवाहरलाल को एक क्षण देखता रह गया''।
मित्रो ''आतिशे चिनार'' नामक किताब में कई खुलासे किये गए है जो जवाहरलाल नेहरू की नियत पर सवाल खड़े करते है पर ये किताब मिलना आसान नहीं कारण आप भी जानते है । मित्रो आप अंदाजा लगा सकते है की ये जवाहरलाल नेहरू कितनी ही घटिया इंसान था । ये इस देश का दुर्भाग्य था की इतने दिनों तक ओ देश की बागडोर सम्हाले रखा । रही सही कसर उनके खानदान वाले पूरा कर रहे है
Posted in हिन्दू पतन

Wake up Hindus be united now ::Stop Converting Hindus :


Wake up Hindus be united now ::Stop Converting Hindus : ::
.
१४३६ साल में मोहम्मद के नाजायज़ सुवर लोगो ने हिंदुस्तान और दुनिया भर में जितने भी लोगो को मार काट बलात्कार के भय से अपने ग्रुप ( इस्लाम कोई धरम नहीं ) में मिलाया मुल्ला बनाया उनको मुवाबजे दिलाओ और वापस उनके वास्तविक धरम में लाओ और २००० साल में टेरेसा समेत जितने भी ईसाई कुत्तो ने हिंदुस्तान और दुनिया भर में जितने भी ईसाई बनाये उनको मुवाबजे दिलाओ और वापस उनके वास्तविक धर्म में लाओ.
.
आज ही एक कानून बना के धरम परिवर्तन पे बन्देज लगाओ.. जागो हिन्दू जागो ..हिन्दू की संख्या घट रही इन ईसाई कुत्तो और मुस्लिम सुवर लोगो के कारन अपने हिंदुस्तान में ही. इसलिए ये कानून आज ही बनाओ . इतालियन ५ क्लास पास Antonio manio ( सोन्या खान _ गांधी लूटेरी बेस्या ) ने इन सालो में सबसे ज्यादा ईसाई बनाये है. उसको पकड़ के काट के कुत्तो को खिलाओ.. जागो हिन्दू जागो .
.
Please be united unity is power ..Unity is strength

Wake up Hindus be united now  ::Stop Converting  Hindus : ::  
.
१४३६ साल में मोहम्मद के नाजायज़ सुवर लोगो ने हिंदुस्तान और दुनिया भर में जितने भी लोगो को  मार काट  बलात्कार के भय से अपने ग्रुप ( इस्लाम कोई धरम नहीं ) में मिलाया मुल्ला बनाया उनको  मुवाबजे दिलाओ और वापस उनके वास्तविक धरम  में लाओ और २००० साल में टेरेसा समेत जितने भी ईसाई कुत्तो ने हिंदुस्तान और दुनिया भर में जितने भी ईसाई बनाये उनको मुवाबजे दिलाओ और वापस उनके वास्तविक धर्म में लाओ. 
.
आज ही एक कानून बना के धरम परिवर्तन पे बन्देज लगाओ.. जागो हिन्दू जागो ..हिन्दू की संख्या घट रही इन ईसाई  कुत्तो और मुस्लिम सुवर लोगो के कारन अपने हिंदुस्तान में ही. इसलिए ये कानून आज ही बनाओ . इतालियन ५ क्लास पास Antonio manio ( सोन्या खान _ गांधी लूटेरी बेस्या ) ने इन सालो में सबसे ज्यादा ईसाई बनाये है. उसको पकड़ के काट के कुत्तो को खिलाओ.. जागो हिन्दू जागो .
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Please be united  unity is power ..Unity is strength
Posted in AAP, राजनीति भारत की - Rajniti Bharat ki

AAP, दुबई के पैसे से दिल्ली में चुनाब ?


Vikram Pratap added 3 new photos.

===>> AAP, दुबई के पैसे से दिल्ली में चुनाब ? <<===

कोई आपीया केजरीवाल से रेडियो मिर्ची पर ये १० सवाल पूछ सकता हैं ?
.
1. शीला की वो फाइल कहा हैं जो वो ले कर घूमता था ?
2. लोकसभा इलेक्शन ओर आज तक वो पाकिस्तान के
खिलाफ बोलने से क्यों कतराता हैं ? एक पत्रकार के
पाकिस्तान पर किये सवाल से ये बीच में उठकर
क्यों चला गया था ?
3. दिल्ली वालो के मीटर इन्लीगल जोड़ कर , ओर बाद में उन
को मझधार में छोड़ कर जाने का क्या मकशद था ?
4 लोकसभा इलेक्शन में उस ने बनारस को ही क्यों चुना ?
5. आननफानन में जनलोकपाल के लिए
कुर्सी छोड़ना क्या ड्रामा नहीं था , जब की उस
को पता था वो कुर्सी पर बैठे कई काम करा सकता था !
6. क्या राजनीती के लिए अपने बच्चो की कसम
खाना जरुरी था , ओर यदि खाई तो उस
को तोडना सही था ?
7 जिन ४ लोगो ने कसाब की फांशी का विरोध
किया वो चारो आप पार्टी के सदस्य क्यों हैं ?
8. प्रशान्तभूषण के कश्मीर को हिंदुस्तान से अलग करने की ,
और वहां से सेना हटाने के बयान से आप ने उस को अभी तक
पार्टी से क्यों जोड़ा हुआ हैं !
9. दिल्ली के पिछले एलक्शन में क्या आप ने कांग्रेस के
घोटालो को मुद्दा नहीं बनाया था ,
यदि बनाया तो बाद में कांग्रेस से हाथ मिला कर आज तक
आप का धयान उस पर क्यों नहीं गया ?
10. क्या आप का मुद्दा अभी भी करप्सन हैं
या वो लोकसभा इलेक्शन के अनुसार ओर अब मोदी बन
गया हैं ?

Vikram Pratap's photo.
Vikram Pratap's photo.
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Posted in भारतीय मंदिर - Bharatiya Mandir

Ancient Idol of Lord Vishnu found in Russia’s Volga Region


Ancient Idol of Lord Vishnu found in Russia’s Volga Region

MOSCOW: An ancient Vishnu idol has been found during excavation in an old village in Russia’s Volga region, raising questions about the prevalent view on the origin of ancient Russia. The idol found in Staraya (old) Maina village dates back to VII-X century AD. Staraya Maina village in Ulyanovsk region was a highly populated city 1700 years ago, much older than Kiev, so far believed to be the mother of all Russian cities.
“We may consider it incredible, but we have ground to assert that Middle-Volga region was the original land of Ancient Rus. This is a hypothesis, but a hypothesis, which requires thorough research,” Reader of Ulyanovsk State University’s archaeology department Dr Alexander Kozhevin told state-run television Vesti .
Dr Kozhevin, who has been conducting excavation in Staraya Maina for last seven years, said that every single square metre of the surroundings of the ancient town situated on the banks of Samara, a tributary of Volga, is studded with antiques.
Prior to unearthing of the Vishnu idol, Dr Kozhevin has already found ancient coins, pendants, rings and fragments of weapons.
He believes that today’s Staraya Maina, a town of eight thousand, was ten times more populated in the ancient times. It is from here that people started moving to the Don and Dneiper rivers around the time ancient Russy built the city of Kiev, now the capital of Ukraine. An international conference is being organised later this year to study the legacy of the ancient village, which can radically change the history of ancient Russia.
Some Conclusions by others:
The discovery of an ancient Vishnu idol in an excavation in Russia only confirms certain ideas I have always had about the Vedic ancient and glorious land and culture.
The report says that the area in which the idol was found is called Staraya Maina. In the Rig Veda, there is a passage that goes, Itham ascati pasyat syantham, ekam starayath mainaa-kaalam. This translates into Staraya Maina is the name of the land of the 45 rivers (on whose banks the noble Rishis conducted the famous Horse Sacrifices), where the sun god descends into one fifty two forty seven. While the first line identifies a location, the second line talks about the exact latitude and longitude at which the solar spectrum produces interference lines at one, fifty two, and forty seven.
The extreme precision of the calculations show the advanced science of the Vedic period, and also a thorough knowledge of SI units (it has been conclusively proven that French scientists stole the system from the Indians.
The discovery of the idol confirms the location in Russia, identified in the Rig Veda as rus soviath sapthamahanagaratham (the ancient and holy land of the 722 flying vehicles). The ancient connections between the Russians and the Indians has been unequivocally confirmed. In Russian orthodox Christianity, worship is conducted very much like in Vishnu temples. The Russians refer to the feast of Vizhnyir Ekoratsya Vikhunh, directly corresponding with Vaikhunda Ekhadasi.
The Russian language also owes a lot to Sanskrit, whose origins 50,000 years ago roughly correspond with the language of the people of the Smritzyi archaeological site, along the banks of the now-dried up Vernstokhlin (Varnasatyakhalini) river system.
It is common knowledge in the archaeological community that the Parashurama Sutra, the basis of all government policy in the erstwhile Kerala kingdom of Vaazhappazhaa, contains the lines Sthulyam Kaamyunishancha kalanam brighahaha. The links between the ancient Russians and Indians almost certainly aided by the 60,00 odd scholars of the University of Vexalate (Sk. Vekhshalatha, Ru. Vekholotsla), in modern-day Central Afghanistan, in the 17th Century BCE, is said to have transferred political ideas through the land of the Vanga (Ru. Vangnya) in modern-day West Bengal.
The Vishnu idol is depicted with a hammer in one left hand while the deconglated seventh arm on the right side holds a reticulated sickle. This hammer and sickle imagery is also found in the Parashurama Sutra, conclusively placing the origin of great and popular Russian political ideology in Vedic India.
The Bringdunthaladeena Upanishad also mentions Kaamyunishcham in its list of land sacrifices, where under the directions of the King, all the land in the country was donated to the performance of sacrifices where Brahmins continuously tickled horny silk-rats (Gandharvamooshicam) until they collapsed in orgiastic exhaustion. The text also clearly identifies a group of scholars referred to as the Paalita Buryam, who oversaw the functioning of the King.
For years, western historical study dominated by Greco-Capitalists, has sought to undermine the Vedic Indian contributions to what came to be 19th and 20th Century world politics. The Greco-Capitalists also attributed the ideology of Communism to the work done by Karl Marx, one of their own. It has been well documented that Marx indeed visited Kerala and West Bengal, and had thorough understanding of the Parashurama Sutra, a copy of which he picked up in the old-book-stall near the Cochin airport. Later on, as part of the larger Greco-centric Capitalist conspiracy, Marx took all the credit himself.
In 1952 in Soviet Russia, an archaeologist, Prof. Varely Smirzkoff of Odessa University found artefacts near the ancient Belarussian town of Kozhikodz. He was the first to speculate that the ruling political ideology of his country could well have had its origins in Vedic India rather than Modern Europe. Stalin funded Smirzkoff’s research until Smirrzkoff was suddenly found to have stolen over 500,000 paper clips from work over the course of his tenure at Odessa University. He was sent to Siberia, and with him went almost all academic proof that would have certainly brought Russia and India closer together.
This recent discovery should resurrect the pioneering work started by Prof. Varely Smirzkoff, who died of Contracted Poloniumitis of the nose, in 1964.
Posted in भारतीय मंदिर - Bharatiya Mandir

श्रीनगर: पुलवामा स्थित माता ज्वाला जी मंदिर आज आग में जला


===>> श्रीनगर: पुलवामा स्थित माता ज्वाला जी मंदिर आज आग में जला <<===

श्रीनगर: पुलवामा स्थित माता ज्वाला जी मंदिर आज आग में जलकर खाक हो गया। दक्षिण कश्मीर में स्थित यह मंदिर कश्मीरी पंडितों की ईष्ट देवी का है। पुलिस ने बताया कि यहां से करीब 17 किलोमीटर दूर खरेव में स्थित इस मंदिर में आज तड़के आग लग गयी।

कोई चिंता की बात नहीं है हिंदुओं और सेकुलरों. आजादी के बाद से पहले भी कश्मीर के २७० मंदिर इसी तरह स्वतः या किसी एरे गेरे कारन वश टूट चुके हैं या ढहा दिए गए हैं या जल गए है. आज एक और बढ़कर बस २७१ हो गया है.

श्रीनगर: पुलवामा स्थित माता ज्वाला जी मंदिर आज आग में जलकर खाक हो गया। दक्षिण कश्मीर में स्थित यह मंदिर कश्मीरी पंडितों की ईष्ट देवी का है। पुलिस ने बताया कि यहां से करीब 17 किलोमीटर दूर खरेव में स्थित इस मंदिर में आज तड़के आग लग गयी।

कोई चिंता की बात नहीं है हिंदुओं और सेकुलरों. आजादी के बाद से पहले भी कश्मीर के २७० मंदिर इसी तरह स्वतः या किसी एरे गेरे कारन वश टूट चुके हैं या ढहा दिए गए हैं या जल गए है. आज एक और बढ़कर बस २७१ हो गया है.

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પોતાના મૃત્યુની કરી’તી ભવિષ્યવાણીઃ નોસ્ત્રાદેમસની સાચી પડેલી આગાહીઓ


પોતાના મૃત્યુની કરી’તી ભવિષ્યવાણીઃ નોસ્ત્રાદેમસની સાચી પડેલી આગાહીઓ

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નોસ્ત્રાદેમસની એક તસવીરઈન્ટરનેશનલ ડેસ્કઃ 14 ડિસેમ્બેર એ ફ્રેન્ચ ભવિષ્યવેતા અને ઈતિહાસના ચર્ચાસ્પદ પાત્ર એવા નોસ્ત્રાદેમસનો જન્મદિન છે. નોસ્ત્રાદેમસમ એ માત્ર ભવિષ્યવેતા જ નહીં, એક શિક્ષક અને ડોક્ટર પણ હતાં. 20મી સદીમાં નોસ્ત્રાદેમસની કથિત ભવિષ્યવાણીઓ સામાન્ય લોકો વચ્ચે ભારે લોકપ્રિય રહી હતી. વિશ્વમાં ઘટેલી કેટલીય પ્રમુખ ઘટનાઓની આગાહી નોસ્ત્રાદેમસ વર્ષો પહેલા કરી ચુક્યો હતો.

મિત્રને મળ્યો પરચોએક દંતકથા અનુસાર એક વખત નોસ્ત્રાદેમસ પોતાના મિત્ર સાથે ઈટાલીની રસ્તાઓ પર ચાલી રહ્યાં હતાં. ત્યારે તેમણે ભીડમાં એક યુવકને જોયો અને આદરથી માથું ઝૂકવી તેને નમસ્કાર કર્યા. મિત્રએ એ જ્યારે આ અંગેનું કારણ પૂછ્યું તો નોસ્ત્રાદેમસે કહ્યું કે આ વ્યક્તિ આગળ જઈને પોપનું આસન ગ્રહણ કરશે. નોસ્ત્રેદેમસે જે વ્યક્તિને નમસ્કાર કર્યા એ ફેલિસ પેરેતી હતો અને 1585માં પોપ બન્યા હતાં.

છંદોમાં કરી શરૂઆત

નોસ્ત્રાદેસમની કિર્તીથી આકર્ષાઈ ફ્રાન્સની મહારાણી કેથરીને પોતાના સંતાનોનું ભવિષ્ય જાણવાની ઈચ્છા વ્યક્ત કરી. મહારાણીના સંતાનો નાની વયે જ મૃત્યુ પામવાના હતાં એવું નોસ્ત્રાદેમસ જાણી ચુક્યા હતાં. જોકે, રાણીને સાચું કહેવાની તેઓ હિંમત કરી શક્યા નહીં. અને તેણે પોતાની વાતને પ્રતિકાત્મક છંદો સાથે રજૂ કરી. આ ઘટના બાદ નોસ્ત્રાદેમસને નક્કી કરી લીધું કે તે પોતાની ભવિષ્યવાણીઓ આવી રીતે છંદો જ રજૂ કરશે.

સમય જતા નોસ્ત્રાદેમસે પોતાનું વાર્ષિક પંચાગ પણ શરૂ કર્યું. જેમા ગ્રહોની સ્થિતિ, ઋતુ અને પાકો સંબંધીત પૂર્વાનુમાન લગાવાતા. જેમાથી મોટાભાગના સત્ય સાબીત થયાં હતાં.

મૃત્યુની આગાહી

નોસ્ત્રાદેમસને પોતાના મૃત્યુનો પૂર્વાભાસ થઈ ચુક્યો હતો. જેથી તેમણે 17 જુન 1566માં પોતાની વસીયત તૈયાર કરી  હતી. એક જુલાઈએ પાદરીને બોલાવી પોતાના અંતિમ સંસ્કારના નિર્દેશ આપ્યા હતાં. 2 જુલાઈ 1566માં આ પ્રખ્યાત ભવિષ્યવેતાનું નિધન થયું. કહેવાય છે કે પોતાના મૃત્યુની તીથિ અને સમય અંગની ભવિષ્યવાણી તેઓ પહેલાથી જ કરી ચુક્યા હતાં.

કબર ખોદવાની આગાહી

એક માન્યતા અનુસાર નોસ્ત્રાદેમસે ભવિષ્યવાણી કરી હતી કે તેના મૃત્યનાં 225 વર્ષ બાદ કેટલાક અસામાજિક તત્તવો તેની કબરને ખોદશે અને તેનાથી અવશેષો કાઠવાનો પ્રયાસ કરશે. જોકે, આ સાથે જ તેમનું મૃત્યુ થઈ જશે. ફ્રેન્ચ ક્રાંતી બાદ 1791માં ત્રણ લોકોએ નોસ્ત્રાદેમસની કબર ખોદી હતી. અને તેમનું મૃત્યું થઈ ગયું હતું.

આગળની સ્લાઈડમાં વાંચો… નોસ્ત્રાદેસમની સાચી પડેલી કેટલીક ભવિષ્યવાણીઓ 

9/11 ના રોજ અમેરિકા ઉપર થસે આંતકી હુમલોઃ

તેને તમે સંયોગ કહો કે પછી સચોટ ભવિષ્યવાણી. 11 સપ્ટેમ્બરે અમેરિકાના વર્લ્ડ ટ્રેસ સેન્ટર ઉપર આંતકવીદીઓએ વિમાન હાઈજેક કરીને હુમલો કર્યો. તેમાં હજારો લોકો માર્યા ગયા. નોસ્ત્રાદેમસે વર્ષો પહેલા લખ્યુ હતું કે ધરતીનાં કેન્દ્ર(વર્લ્ડ ટ્રેડ સેન્ટર) ઉપર હુમલો હશે. જો કે નોસ્ત્રાદેમસે આ હુમલામાં વર્ષનો જે ઉલ્લેખ આપ્યો હતો તે 1999 હતું, પરંતુ અમેરિકાના વર્લ્ડ ટ્રેડ સેન્ટર ઉપર 2001માં હુમયો થયો મહિના અને તારીખ એ જ હતી.

દુર્ઘટનામાં થશે રાજકુમારીનું મોતઃ

નોસ્ત્રાદેમસે વર્ષો પહેલા જણાવ્યુ હતું કે રાજકુમારી ડાયનાનું મોત એક દુર્ઘટનામાં થશે. આ દુર્ઘટનામાં ડાયનાના માથામાં ઈજા પહોંચી હતી. 31 ઓગસ્ટ 1997ના રોજ ડાયનાની કાર દુર્ઘટનામાં મૃત્યુ થયું. તેના માથામાં ઈજા થવાને લીધે મૃત્યું થયું. નોસ્ત્રાદેમસે એ પણ જણાવ્યું હતું કે મૃત્યુને લીધે અનેક લોકો કાનૂની ફડચામાં ફસાઈ જશે. અને એવું થયું પણ ખરું.

વિશ્વ જોઓ બીજુ મહાયુદ્ધઃ

મહાન ભવિષ્યવેત્તા નાસ્ત્રેદમસની 950 ભવિષ્યવાણીઓમાંથી 18 ભવિષ્યવાણીઓનું કેન્દ્ર ત્રીજું વિશ્વયુદ્ધ હતું. નોસ્ત્રાદેમસે સૌથી મોટી બે ભવિષ્યવાણીમાંથી એક હતી બીજા વિશ્વ યુદ્ધ અંગે. નોસ્ત્રાદમસને બતાવ્યું હતું કે વિશ્વએ બીજું વિશ્વ યુદ્ધ સહન કરવુ પડશે. આ યુદ્ધમાં હજારો લોકોનું મૃત્યુ થશે. 1939 થી 1945ની વચ્ચે આ યુદ્ધ લડવામાં આવ્યું અને હજારો સૈનિકો અને નાગરિકોનો જીવ ગયો હતો. આ યુદ્ધમાં સામેલ  દેશોનું અર્થતંત્ર, ઉદ્યોગ-ધંધા અને વૈજ્ઞાનિક શક્તિ બરબાદ થઈ ગઈ હતી.

હિટલર વિશે કરી હતી ભવિષ્યવાણીઃ

નોસ્ત્રાદેમસે પોતાના પુસ્તકમાં લખ્યું હતું કે પશ્ચિમી યુરોપમાં ગરીબ પરિવારમાં ડેન્બ્યૂ નદીની પાસે બાળક જન્મ લે. તેની વાણીથી મોટી સેના તેની તરફ જમા થઈ જશે અને તેની પ્રસિદ્ધિ ચારેય દિશામાં થશે. 1889માં એવું જ થયું જ્યારે હિટલનનો જન્મ ડેન્બ્યૂ નદીથી થોડે જ દૂર આવેલ એક ગરીબ પરિવારમાં થયો. હિટલરે જર્મનીની નાઝી પાર્ટીની શક્તિ વધારી. નોસ્ત્રાદમસની ભવિષ્યવાણી પ્રમાણે જ હિટલરે રાજ કર્યું હતું.

આગથી વધુ, ખૂનથી મોટી અસર થશેઃ

ફરી એકવાર નોસ્ત્રાદેમસે સચોટ ભવિષ્યવાણી કરી. આ વખતે જે નામ તેમને બતાવ્યું હતું તે પીએયૂ, એનવાઈઈ અને લોરેન હતો. આ શબ્દોને વ્યવસ્થિત કરવામાં આવે તો બને છે નેપોલિયન. નોસ્ત્રાદેમસે લખ્યું કે આ નામનો વ્યક્તિ આગ કરતા વધુ લોહીનો વધુ પ્રભાવ છોડનારો હશે. સાથે એવું પણ જણાવ્યું કે પોપ ચોથા અને પોપ 8માં તેના દ્વારા કેદ કરવામાં આવશે. થયું પણ એ જ એવું નેપોલિયનને ગજબનું સામર્થ્ય દેખાડ્યું અને વિશ્વ પટલ ઉપર પોતાની છાપ છોડી. નોસ્ત્રાદમસની ભવિષ્યવાણી પ્રમાણે બંને પોપને નેપોલિયન કેદ કર્યા હતા.

ફ્રાંસના શાસક થશે કેદઃ
નોસ્ત્રાદેમસે ફ્રાન્સને લઈને પણ જે ભવિષ્યવાણી કરી હતી તે સાચી સાબિત થઈ. પોતાની પુસ્તકમાં આ તેણે લખ્યું હતું કે ફ્રાન્સ પર સદીઓથી રાજ કરતા ફ્રેન્ચ શાસકોને કેદ કરવામાં આવશે. તેમના સૈનિકો લોહીની નદીઓમાં વહી જશે અને સિએને નદી કિનારે ધરતી લોહીથી રંગાઈ જશે. 1789-1799માં આ ભવિષ્યવાણ સાચી પડી અને ફ્રાંસમાં સદીઓથી રાજ કરી રહેલા શાસકોની વિરુદ્ધ જનતાએ અવાજ ઊઠાવ્યો. અને જનતાનું શાસન સ્થાપિત થયું.

લંડનમાં લાગશે 66મા વર્ષે લાગશે આગઃનોસ્ત્રાદેમસે પોતાના પુસ્તકમાં લખ્યું હતું કે 66મા વર્ષે લંડનમાં આગ લાગશે અને હજારો લોકો માર્યા જશે. 2 સપ્ટેમ્બર 1666ના રોજ લંડન શહેરમાં ભીષણ આગ લાગી. 5 સપ્ટેમ્બર સુધી ચાલેલી આ આગમાં 13200 ઘર, 82 ચર્ચ અને અનેક સરકારી ઈમારતો બળીને ખાખ થઈ ગયાં. .

બીમારીઓને માત આપશે આ શખ્સઃ
નોસ્ત્રાદમસની ભવિષ્યાણીઓમાં વિજ્ઞાનથી લઈને પૂર્વાનુમાન સામેલ હતા. તેમના માનવા પ્રમાણે એક વૈજ્ઞાનિક લાંબા સમયથી ચાલતી આવતી બીમારીઓનો ઈલાજ શોધશે. એવું જ થયું 27 ડિસેમ્બર 1822ના રોજ લૂઈસ પોશ્ચર નામના વ્યક્તિનો જન્મ થયો જેને રેબીઝ અને એન્થ્રેક્સની રસી બનાવી હતી.

માનવતા ઉપર પડશે એટમબોમ્બઃ
ઓગસ્ટ 1945ના રોજ અમેરિકાએ જાપાનના હિરોશિમા અને નાગાસાકી ઉપર એટમ બોમ્બ નાખશે. જેમાં હજારો લોકો રેડિએશનના શિકાર થયા અને આજે પણ તેના કુપ્રભાવને લીધે બાળકોમાં વિકૃતિઓ જોવા મળે છે. નોસ્ત્રાદેમસે કહ્યું હતું કે આકશમાં મશરૂમના આકારના વાદળ હશે તે આખા શહેરને ઢાંકી દેશે. તેનો અર્થ એ કાઢવામાં આવે છે કે નોસ્ત્રાદમસને કોઈ મોટી ત્રાસદીની વાત કહી હતી જે આકાશથી આવશે.