5000 साल से पुरानी संस्कृति का हिस्सा : कश्मीर
जो कश्यप ऋषि द्वारा बसाया गया था ,
जहा 100 %
साक्षरता वाले कश्मीरी पंडित थे ।
एक दिन 1990 मेँ
मुस्लिमोँ द्वारा कश्मीरी पंडितों को भाग जाने
की धमकियाँ मिलने लगीं , और
मस्जिदों से निकल निकल कर इन पंडितों पे हमला करने लगे और
पंडितोँ के घर जला दिए गए । सिर्फ इतना ही नहीँ भाइयोँ , उनकी बहू
बेटियोँ और औरतों का बलात्कार किया गया , उनके मासूम
बच्चोँ को घर से निकाल दिया गया , जिससे कितनोँ की मौत हो गई
और जो बचे उनकी जिन्दगी जानवरोँ से भी बद्तर हो गई ।
भारत
सरकार
(congress ki sarkar)
चुप चाप ये सब देखती रही
और 3,50,000
पंडितों को अपना घर छोड़ना पड़ा
20,000 जगह बदलने से ही मर गये ,
और
90% आज भी अस्थमा के शिकार हो गये ।
ये है हमारा भारत , जो कि बस नाम का हिन्दुस्थान है ,
क्या हम लोग
इतिहास के वीरोँ की गाथा गाकर ही अपनी वीरता को प्रदर्शित
करते रहेँगे ?
क्या आज हम इतने कमजोर हो चुके है कि अपने धर्म
का विस्तार नही तो रक्षा भी नहीँ कर सकते ?
यदि आपको अब
भी यकीन नहीँ आता तो ये देखेँ ;
आप सब जानते हैँ कि आज भी काश्मीर के हिन्दुओँ
की क्या दुर्दशा है ,
पिछले गणतन्त्र दिवस पर एक विद्यालय मेँ
अध्यापक द्वारा वन्देमातरम्
और
भारत माता की जय कहने पर वहाँ के
मुस्लिम युवकोँ ने उनको धक्का मारकर मंच से नीचे कर दिया
और
पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगाये ।
दुर्भाग्य बस उस समय
भी मौनी बाबा का सत्ता था ।
और
आज भी बंगाल , काश्मीर और
उत्तर प्रदेश के कुछ स्थानो पर हिन्दू अमानवीय स्तिथियों में रह रहे हैं ।
इसका जिम्मेदार सिर्फ सरकार नहीँ बल्की हम खुद हैँ ।
आखिर कब तक
हम अपनी जिन्दगी सरकारी रक्षा की चादर से ढक कर जीयेँगे ?
कब
तक कानून हमेँ सुरक्षा करेगा और हमारे बहू बेटियोँ की इज्जत
बचायेगा ।
एक दिन इसका सामना हमेँ खुद करना ही होगा ,
लेकिन
ऐसा ना हो कि तब तक हमारी हालत काश्मीर के
पंडितो जैसी ना हो जाय ,
इसलिए अभी से भी कुछ नहीँ बिगड़ा है ।
इसका हल एक मात्र है हिन्दू एकता
यदि अभी भी हम सब हिन्दू एकता नहीँ
बनाये तो आने वाले समय मेँ हम
चाहकर भी कुछ नहीँ कर पायेँगे ।
और
हमारी भावी पीढ़ियाँ हमेँ
धिक्कारेँगी ।