Posted in भारत का गुप्त इतिहास- Bharat Ka rahasyamay Itihaas

आज हम आपको भदौरिया राजपूत कुल के बारे में कुछ जानकारी देंगे,


============भदौरिया वंश (Bhadhauriya Vansh) ==============
जय राजपुताना मित्रों,
आज हम आपको भदौरिया राजपूत कुल के बारे में कुछ जानकारी देंगे,
भदौरिया राजपूत चौहान राजपूतो की शाखा है,इनका गोत्र वत्स है और इनकी चार शाखाए राउत, मेनू, तसेला, कुल्हिया, अठभईया हैं,

भदौरिया राजपूत कुल का नाम है। इनका नाम ग्वालियर के ग्राम भदावर पर पड़ा। इस वंश के महाराजा को ‘महेन्द्र’ (पृथ्वी का स्वामी) की उपाधि से संबोधित किया जाता है। यह उपाधि आज भी इस कुल के मुखिया के नाम रहती है |
इस कुटुम्ब के संस्थापक मानिक राय, अजमेर के चौहान को मना जाता है, उनके पुत्र राजा चंद्रपाल देव (७९४-८१६) ने ७९३ में “चंद्रवार” (आज का फिरोजाबाद) रियासत की स्थापना की और वहां एक किले का निर्माण कराया जो आज भी फिरोजाबाद में स्थित है।
८१६ में उनके पुत्र राजा भदों राव (८१६-८४२) ने भदौरा नामक शहर की स्थापना की और अपने राज्य की सीमा को आगरा में बाह तक बढ़ा दिया,
रज्जू भदौरिया ने सदा अकबर का प्रतिरोध किया,जौनपुर के शर्की सुल्तान हुसैनशाह को भी भदौरिया राजपूतो ने हराया था,
इन्होने दिल्ली के सुल्तान सिकन्दर लोदी के विरुद्ध भी बगावत की थी,

जब मुगलों के साम्राज्य का पतन हो रहा था, तब भदौरिया प्रभावशाली व सर्वशक्तिमान थे | १७०७ में सम्राट औरंगजेब की मृत्यु के बाद हुयी लडाई में भदावर के राजा कल्याण सिंह भदौरिया ने पर धौलपुर कब्जा किया और १७६१ तक धौलपुर भदावर रियासत का हिस्सा रहा | १७०८ में भदावर सैनिक, उम्र-ऐ-उज्ज़म महाराजाधिराज श्रीमान महाराजा महेंद्र गोपाल सिंह भदौरिया ने गोंध पर धावा बोला, राणा भीम सिंह जाट को युद्ध में हरा कर गोंध के किले पर कब्जा किया और गोंध को भदावर में मिला लिया १७३८ तक गोंध भदावर की हिस्सा रहा ,

पहले इनके चार राज्य थे ,चाँदवार, भदावर, गोंध, धौलपुर,
इनमे गोंध इन्होने जाट राजाओ से जीता था,अब सिर्फ एक राज्य बचा है भदावर जो इनकी प्रमुख गद्दी है,राजा महेंद्र अरिदमन सिंह इस रियासत के राजा हैं और यूपी सरकार में मंत्री हैं.ये रियासत आगरा चम्बल इलाके में स्थित है,

अब भदौरिया राजपूत आगरा ,इटावा,भिंड,ग्वालियर में रहते हैं
(तस्वीर में भदौरिया राजपूतो का चम्बल का अटेर दुर्ग जहाँ खून का तिलक लगाकर ही राजा से मिलते थे गुप्तचर)

============भदौरिया वंश  (Bhadhauriya Vansh) ============== 
जय राजपुताना मित्रों,
आज हम आपको भदौरिया राजपूत कुल के बारे में कुछ जानकारी देंगे,
भदौरिया राजपूत चौहान राजपूतो की शाखा है,इनका गोत्र वत्स है और इनकी चार शाखाए राउत, मेनू, तसेला, कुल्हिया, अठभईया हैं,

भदौरिया राजपूत कुल का नाम है। इनका नाम ग्वालियर के ग्राम भदावर पर पड़ा। इस वंश के महाराजा को 'महेन्द्र' (पृथ्वी का स्वामी) की उपाधि से संबोधित किया जाता है। यह उपाधि आज भी इस कुल के मुखिया के नाम रहती है |
इस कुटुम्ब के संस्थापक मानिक राय, अजमेर के चौहान को मना जाता है, उनके पुत्र राजा चंद्रपाल देव (७९४-८१६) ने ७९३ में "चंद्रवार" (आज का फिरोजाबाद) रियासत की स्थापना की और वहां एक किले का निर्माण कराया जो आज भी फिरोजाबाद में स्थित है।
८१६ में उनके पुत्र राजा भदों राव (८१६-८४२) ने भदौरा नामक शहर की स्थापना की और अपने राज्य की सीमा को आगरा में बाह तक बढ़ा दिया,
रज्जू भदौरिया ने सदा अकबर का प्रतिरोध किया,जौनपुर के शर्की सुल्तान हुसैनशाह को भी भदौरिया राजपूतो ने हराया था,
इन्होने दिल्ली के सुल्तान सिकन्दर लोदी के विरुद्ध भी बगावत की थी,

जब मुगलों के साम्राज्य का पतन हो रहा था, तब भदौरिया प्रभावशाली व सर्वशक्तिमान थे | १७०७ में सम्राट औरंगजेब की मृत्यु के बाद हुयी लडाई में भदावर के राजा कल्याण सिंह भदौरिया ने पर धौलपुर कब्जा किया और १७६१ तक धौलपुर भदावर रियासत का हिस्सा रहा | १७०८ में भदावर सैनिक, उम्र-ऐ-उज्ज़म महाराजाधिराज श्रीमान महाराजा महेंद्र गोपाल सिंह भदौरिया ने गोंध पर धावा बोला, राणा भीम सिंह जाट को युद्ध में हरा कर गोंध के किले पर कब्जा किया और गोंध को भदावर में मिला लिया १७३८ तक गोंध भदावर की हिस्सा रहा ,

पहले इनके चार राज्य थे ,चाँदवार, भदावर, गोंध, धौलपुर,
इनमे गोंध इन्होने जाट राजाओ से जीता था,अब सिर्फ एक राज्य बचा है भदावर जो इनकी प्रमुख गद्दी है,राजा महेंद्र अरिदमन सिंह इस रियासत के राजा हैं और यूपी सरकार में मंत्री हैं.ये रियासत आगरा चम्बल इलाके में स्थित है,

अब भदौरिया राजपूत आगरा ,इटावा,भिंड,ग्वालियर में रहते हैं
(तस्वीर में भदौरिया राजपूतो का चम्बल का अटेर दुर्ग जहाँ खून का तिलक लगाकर ही राजा से मिलते थे गुप्तचर)

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33 thoughts on “आज हम आपको भदौरिया राजपूत कुल के बारे में कुछ जानकारी देंगे,

  1. Agni ka swabhav h ashudhiyo ka bhaksan krke usko pavitra krna bhadauriya agni se hi prakat huye h, aur hamara sankalap h thakuro me ekta lana usme agr ahankar jaisi ashidiya milaoge to bhasm bana kr apne kul devta ko arpit kr denge. Kalan h wo thakur jo apne ko thakuro me bada chhota samjhte h.

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  2. जय श्री राम
    जय भवानी
    जय राजुताना
    जय हिन्द

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  3. राजपूत किसी को ऐसे ही राजपूत नही मान लेते, हमारे समाज ने कई स्थितियां झेली हैं बिना जानकारी के किसी पर गलत आक्षेप मत लगाया कीजिये, यह बुद्धिमत्ता नही है। ज्ञान वर्धन कर दूं आपका-” मिर्धा जाति का व्यक्ति गर्भवती रानी को संकट के समय गुप्त रास्ते से ले गया था और रानी अपने मायके फतेहपुर सीकरी जो तब सिकरवारों की रियासत थी वहां ले गया था। और जो गर्भ में बच्चा था वही आगे चलकर राजवंश के प्रतापी राजा हुआ ।

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  4. भदौरिया को चौहानों में मत घुसेडो ये तो मिर्धा हैं, जो बहिन भाई से पैदा है,एक राजस्तान में कोई ठिकाना नहीं है, मनगढंत हिस्ट्री मत बताओ मुगलो के रिस्तेदारो।

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  5. भदौरिया कोइतिहासकार क्षत्रिय नही मानते,इनको एक विधवा राजपुत रानी जो up से भागकर भदावर आकर एक मिर्धा के यहाँ बैठ गयी ,ये भदौरिया मिर्धा है, इनका राजस्तान में कोई घर ठिकाना नही है, इनको चौहान कहना गलत है, इनकी कोई कुल देबी नही होती, हा जिन राजपूतों ने इनसे बेटी के सम्बंद बनालिये बो इनको ठाकुर मानते हैं

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    1. तेरे जैसे गद्दारों को इतिहासकार ने जयचंद कहा है तू ठाकुर छोड़ के खान लगाने लग नाम के आगे दोगले

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  6. जय भदौरिया जय राजपुताना
    जिला जमुई ग्राम बरियारपुर बिहार

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    1. भदौरिया को चौहानों में मत घुसेडो ये तो मिर्धा हैं, जो बहिन भाई से पैदा है,एक राजस्तान में कोई ठिकाना नहीं है, मनगढंत हिस्ट्री मत बताओ मुगलो के रिस्तेदारो।

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      1. Lagta h kisi bhadoria ne tujhe khoob mara h. Jali g**d ka ilaaj nahi

        Tu khud tere asli baap ko nahi janta

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