
था,दराबाद के हैम ने खुद को भारत से अलग होने का एलान कर दियानिजा
सरदार पटेल ने उसे संधि के लिए दिल्ली बुलाया,
निजाम ने अपने दीवान को उनसे मिलने भेजा, जब निजाम का दीवान पटेल जी से मिलने आया तो पटेल जी ने पहले उसका पूरा आदर सत्कार किया, उसके बाद मंत्रणा करने बैठे,
पटेल जी ने पूछा की जब हैदराबाद के 80% हिन्दू भारत में मिलना चाहते है तो आपके निजाम क्यों पाकिस्तान के बहकावे में आ रहे है,
दीवान ने बताया कि निजाम ने कहा की आप हमारे बीच में न पड़े, हम अपनी मर्जी के मालिक है, और रही हिन्दुओ की बात तो इन 1 करोड़ हिन्दुओ की हम लाशें बिछा देंगे, एक भी हिन्दू आपको जिन्दा नहीं मिलेगा, तब किसकी राय पूछेंगे??
पटेल जी ने कहा – आप जाइए वापिस हैदराबाद,
दीवान चला जाता है,
अगली सुबह उसके हैदराबाद पहुँचने से पहले ही भारतीय सेना हैदराबाद पर धावा बोल देती है,
ऐसे कठोर समय में भी बिना समय गँवाए सही निर्णय लेकर खंड खंड देश को हिमाचल से कन्याकुमारी तक एक करने वाले सरदार पटेल को कोटि कोटि नमन,
और एकमात्र कश्मीर की समस्या को सुलझाने की बात कह कर उसे अंतर्राष्ट्रीय समस्या बता कर भारत के लिए नासूर बना देने वाले धूर्त, कपटी , छदम पंडित, मियां नेहरु को कोटि कोटि जुतांजलि