आज मुर्ख बुद्धिजीवी जूठे तर्कवादी पैदा हो गए है. उदहारण इन लिगो को शोले फ़िल्म के गब्बर पे वक्तव्य बोलने कहा जाए तो कहेंगे. गब्बर बड़ा दयालु ठ उसने गब्बर को नहीं मारा सिर्फ दो हाथ काट दिए , उनको जिन्दा छोड़ दिया. वो संगीत प्रेमी था इत्यादि .
कुछ लोग भी ऐसे ही तर्क करके जूठ को सत्य के कपडे पहनाकर राजू करते है. चार्वाक का मतलब चारु वक अर्थात जिसकी वाणी मीठी हो ऐसा . वो भी यही कहता था आप श्राद्ध में ब्राम्हिन को खिलाओगे तो क्या आप के पितृओ को मिलेगा ?
कर्ण को बहुत अन्याय हुआ है वो कहने वाले भी है. कर्ण महान था कोई सक नहीं लेकिन उसने अपनी सामर्थ्यता हरामी लोगो के कदमो में राखी इसलिए उनके बड़े २ गुण भी माटी मोल हो गए.
सीतामाता ने जीवन में एक बार भी नहीं कहा राम ने मेरे लिए अन्याय किया है वनवास जाने का निर्णय सीतामाता का था सुख और दुःख में मई पति के साथ रहूंगी. लेकिन आज के जूठे तर्कवादी कहते है सीता माता को बहुत दुःख पंहुचा !!
बाबरी टूटी तो उस पैर रोने वाले हिन्दू कुतर्क वाड़ी भी बहुत है उन्होंने कभी नहीं रोया की मंदिर बनाकर मस्जिद बनाई . उल्टा कुतर्क करते है बाबरी टूटने पैर दंगे हुए और देस को करोडोका नुकसान हुआ. मई पूछता हु अयोद्या में ४० % मुल्लो की आबादी वाले सहर में क्यों कोई दंगा नहीं हुआ ? कारन ये सब दंगे करवाये गए थे..
कभी कोई मुल्लो की मजाक करते है तो कुतर्क वादी दौड़े चले आकर उनको बचते है !!!
मुल्लो की मजाक करना मतलब उनका गर्वे खंडन करना . गर्व खंडन के बाद उनकी सक्ति खलास हो जाती है. जैसे सैल्य ने करना की कीथी . कर्ण जब तक लड़ता था तब तक कर्ण को वेधक वचन कहकर उनकी मानसिक सक्ति खंडित करता था.
६० साल कॉंग्रेस्स को कोई नहीं पूछा ३७० कश्मीर के बारे में ! कोई जनता था १५ साल पहले ३७० के बारेमे ? और आज पूछने चले मोदी ने आपने वादा पूरा नहीं किया .
मै इतनाही कहूँगा कुतर्क छोड़ कर प्रभु प्रिया बुद्धि चाहिए.
