एक रानी रासमणि थी।
बहुत से लोगों ने नाम पहली बार भी सुना हो सकता है।
परन्तु यह वह रानी थी जिसने दक्षिणेश्वर काली मंदिर की स्थापना करी थी।
जिसके पुजारी ठाकुर राम कृष्ण परमहंस बने जिनका पुरवर्ती नाम गदाधर था।
यह बात जो मैं लिख रहा हू वह 1830 ईस्वी के आस पास की है।
रानी रासमणि जॉन बाजार के राजा राजचंद्र की दूसरी पत्नी थी
राजा का महल 300 कमरो की सात मंजिला इमारत थी।
उस समय इस महल की निर्माण लागत 25 लाख थी।
रानी रासमणि एक स्वदेशी पसंद महिला थी और बहुत बुद्धिमान भी थी।
उस समय कलकत्ता में अंग्रेजी शासन स्थापित था।
जॉन बाजार के महल में एक दिन गोरे असुरों ने घुसकर हंगामा किया तो रानी ने उस समय उनका मुकाबला करके उनको भगा दिया।
जबकि रानी शुद्ध ग्रामीण पृष्ठ भूमि से आई गरीब परिवार की कन्या थी परन्तु असुर दल हेतु साक्षात महाकाली साबित हुयी।
उस समय बंगाल में गंगा में मछली पकड़ने वाले मछुआरों पर अंग्रेज ने कर लगा दिया।
उनकी साहयता को रानी आगे आई और बहुत बुद्धिमानी से मछली पकड़ने की पूरी जगह को दस हजार में अंग्रेज बहादुर से खरीद लिया।
उसके बाद मछुआरों को बिना कर मछली पकड़ने की छूट मिल गयी।
कुछ समय बाद उसने मछली पकड़ने की पूरी जगह की घेरा बंदी करवादी।
अंग्रेज बहादुर की बोट स्टीमर रुक गए।
इस पर अंग्रेज बहादुर ने रानी के साथ समझोता किया दस हजार वापस दिए और मछुआरों को बिना कर मछली पकड़ने की छूट मिली।
उस समय बंगाल में स्नान यात्रा का महत्व था उसमे देवता के लिए चांदी का रथ बनाने का काम रानी के दामाद और मेनेजर मथुरा बाबू ने उस समय के कलकत्ता के प्रसिद्ध जोहरी हेमिल्टन को सवा लाख में दिया तो रानी का सवाल था की क्या हमारे सारे भारतीय जोहरी मर गए ?
यह सौदा निरस्त हुआ और वह रथ भारतीय कारीगरों ने बनाया।
आज जहा ईडन गार्डन है उस के पास स्थित बाबू घाट में नवरात्र की नवपत्रिका को स्नान करवाया जाता था।
उसमे ढोल नगाड़े खूब बजते थे वैसे बाबू घाट भी रानी रासमणि ने ही बनाया था।
इन ढोल नगाड़े की शिकायत अंग्रेज बहादुर को होने पर उन्होंने ने रानी की स्नान यात्रा पर 50 रूपये जुर्माना किया।
रानी ने जुर्माना जमा करवाया और रातो रात बाबू घाट से जॉन बाजार तक का पूरा इलाका बाड़ से घेर लिया यह इलाका पूरा वैसे रानी की मालकियत का था सो सरकारी विरोध कोई काम नहीं आया
आखिर सरकार झुकी और समझोता हुया लिखित माफीनामा लिखा गया जुर्माना की रकम वापस मिली।
इसी रानी ने काली मंदिर बनवाया।