सुप्रीम कोर्ट के मुक़द्दमे मे कसाईयो द्वारा गाय काटने के
लिए वही सारे कुतर्क रखे गए जो कभी शरद पवार
द्वारा बोले गए या इस देश के ज्यादा पढ़ें लिखे
लोगो द्वारा बोले जाते है या देश के पहले प्रधान मंत्री नेहरू
द्वारा कहे गए !
कसाईयो का पहला कुतर्क !!
1) गाय जब बूढ़ी हो जाती है तो बचाने मे कोई लाभ नहीं उसे
कत्ल करके बेचना ही बढ़िया है ! और हम भारत की अर्थ
व्यवस्था को मजबूत बना रहे हैं क्यूंकि गाय का मांस export
कर रहे हैं !!
दूसरा कुतर्क !
2) भारत मे गाय के चारे की कमी है ! भूखी मरे इससे
अच्छा ये है हम उसका कत्ल करके बेचें !
तीसरा कुतर्क
3) भारत मे लोगो को रहने के लिए जमीन नहीं है गाय
को कहाँ रखें ?
चौथा कुतर्क
4 ) इससे विदेशी मुद्रा मिलती है !
और सबसे खतरनाक कुतर्क जो कसाइयों की तरफ से
दिया गया कि गया की ह्त्या करना हमारे धर्म इस्लाम मे
लिखा हुआ है की हम गायों की ह्त्या करें !! (this is our
religious right ) !
कसाई लोग कौन है आप जानते है ??मुसलमानो मे एक
कुरेशी समाज है जो सबसे
ज्यादा जानवरों की ह्त्या करता है ! उनकी तरफ से ये
कुतर्क आयें !
पूरी post नहीं पढ़ सकते तो यहाँ click करे ! http://
on.fb.me/1m7WUl3
राजीव भाई की तरफ से बिना क्रोध प्रकट किए बहुत
ही धैर्य से इन सब कुतर्को का तर्कपूर्वक जवाब दिया !
उनका पहला कुतर्क गाय का मांस बेचते हैं
तो आमदनी होती है देशो को ! तो राजीव भाई ने सारे आंकड़े
सुप्रीम कोर्ट मे रखे कि एक गाय को जब काट देते हैं
तो उसके शरीर मे से कितना मांस निकलता है ???
कितना खून निकलता है ?? कितनी हड्डियाँ निकलती हैं ??
एक सव्स्थय गाय का वजन 3 से साढ़े तीन कवींटल होता है
उसे जब काटे तो उसमे से मात्र 70 किलो मांस निकलता है
एक किलो गाय का मांस जब भारत से export होता है
तो उसकी कीमत है लगभग 50 रुपए ! तो 70 किलो का 50
से गुना को ! 70 x 50 = 3500 रुपए !
खून जो निकलता है वो लगभग 25 लीटर होता है ! जिससे
कुल कमाई 1500 से 2000 रुपए होती है !
फिर हड्डियाँ निकलती है वो भी 30-35 किलो हैं ! जो 1000
-1200 के लगभग बिक जाती है !!
तो कुल मिलकर एक गाय का जब कत्ल करे और
मांस ,हड्डियाँ खून समेत बेचें तो सरकार को या कत्ल करने
वाले कसाई को 7000 रुपए से ज्यादा नहीं मिलता !!
फिर राजीव भाई द्वारा कोर्ट के सामने उल्टी बात रखी गई
यही गाय को कत्ल न करे तो क्या मिलता है ??? हमने कत्ल
किया तो 7000 मिलेगा और अगर इसको जिंदा रखे
तो कितना मिलेगा ??
तो उसका calculation ये है !!
एक सव्स्थ्य गाय एक दिन मे 10 किलो गोबर देती है और
ढाई से 3 लीटर मूत्र देती है ! गाय के एक किलो गोबर से 33
किलो fertilizer (खाद ) बनती है !जिसे organic खाद
कहते हैं तो कोर्ट के जज ने कहा how it is possible ??
राजीव भाई द्वारा कहा गया आप हमे समय दीजिये और
स्थान दीजिये हम आपको यही सिद्ध करके बताते हैं !
तो कोर्ट ने आज्ञा दी तो राजीव भाई ने उनको पूरा करके
दिखाया !! और कोर्ट से कहा की आई. आर. सी. के
वैज्ञानिक को बुला लो और टेस्ट करा लो !!! तो गाय
का गोबर कोर्ट ने भेजा टेस्ट करने के लिए !
तो वैज्ञानिको ने कहा की इसमें 18 micronutrients
(पोषक तत्व )है !जो सभी खेत की मिट्टी को चाहिए जैसे
मैगनीज है ! फोस्फोरस है ! पोटाशियम है,
कैल्शियम,आयरन,कोबाल्ट, सिलिकोन ,आदि आदि |
रासायनिक खाद मे मुश्किल से तीन होते हैं ! तो गाय का खाद
रासायनिक खाद से 10 गुना ज्यादा ताकतवर है !तो कोर्ट ने
माना !!
राजीव भाई ने कहा अगर आपके र्पोटोकोल के खिलाफ न
जाता हो तो आप चलिये हमारे साथ और देखे कहाँ – कहाँ हम
1 किलो गोबर से 33 किलो खाद बना रहे हैं राजीव भाई ने
कहा मेरे अपने गाँव मे मैं बनाता हूँ ! मेरे
माता पिता दोनों किसान है पिछले 15 साल से हम गाय के
गोबर से ही खेती करते हैं !
तो 1 किलो गोबर है तो 33 किलो खाद बनता है ! और 1
किलो खाद का जो अंराष्ट्रीय बाजार मे भाव है वो 6 रुपए
है !तो रोज 10 किलो गोबर से 330 किलो खाद बनेगी ! जिसे
6 रुपए किलो के हिसाब से बेचें तो 1800 से 2000 रुपए रोज
का गाय के गोबर से मिलता है !
और गाय के गोबर देने मे कोई sunday नहीं होता weekly
off नहीं होता ! हर दिन मिलता है ! तो साल मे कितना ???
1800 का 365 मे गुना कर लो !
1800 x 365 = 657000 रुपए !साल का !
और गाय की समानय उम्र 20 साल है और वो जीवन के
अंतिम दिन तक गोबर देती है !
तो 1800 गुना 365 गुना 20 कर लो आप !! 1 करोड़ से
ऊपर तो मिल जाएगा केवल गोबर से !
और हजारो लाखों वर्ष पहले हमारे शास्त्रो मे लिखा है
की गाय के गोबर मे लक्ष्मी जी का वास है !!
और मेकोले के मानस पुत्र जो आधुनिक शिक्षा से पढ़ कर
निकले हैं जिनहे अपना धर्म ,संस्कृति – सभ्यता सब पाखंड
ही लगता है !हमेशा इस बात का मज़ाक उड़ाते है !
कि हाहाहाःहाहा गाय के गोबर मे लक्ष्मी !
तो ये उन सबके मुंह पर तमाचा है ! क्यूंकि ये बात आज
सिद्ध होती है की गाय के गोबर से खेती कर ,अनाज
उत्पादन कर धन कमाया जा सकता है और पूरे भारत का पेट
भरा जा सकता है !
_______________________
अब बात करते हैं मूत्र की रोज का 2 – सवा दो लीटर !! और
इससे ओषधियाँ बनती है
diabetes ,की ओषधि बनती है !
arthritis,की ओषधि बनती है
bronkitis, bronchial asthma, tuberculosis,
osteomyelitis ऐसे करके 48
रोगो की ओषधियाँ बनती है !! और गाय के एक लीटर मूत्र
का बाजार मे दवा के रूप मे कीमत 500 रुपए है ! वो भी भारत
के बाजार मे ! अंतर्राष्ट्रीय बाजार मे तो इससे
भी ज्यादा है !! आपको मालूम है ?? अमेरिका मे गौ मूत्र
patent हैं ! और अमरीकी सरकार हर साल भारत से गाय
का मूत्र import करती है और उससे कैंसर की medicine
बनाते हैं !! diabetes की दवा बनाते हैं ! और अमेरिका मे
गौ मूत्र पर एक दो नहीं तीन patent है ! अमेरिकन
market के हिसाब से calculate करे तो 1200 से 1300
रुपए लीटर बैठता है एक लीटर मूत्र ! तो गाय के मूत्र से
लगभग रोज की 3000 की आमदनी !!!
और एक साल का 3000 x 365 =1095000
और 20 साल का 300 x 365 x 20 = 21900000 !
इतना तो गाय के गोबर और मूत्र से हो गया !! एक साल का !
_______________________
और इसी गाय के गोबर से एक गैस निकलती है जिसे मैथेन
कहते हैं और मैथेन वही गैस है जिससे आप अपने रसोई घर
का सिलंडर चला सकते हैं और जरूरत पड़ने पर
गाड़ी भी चला सकते हैं 4 पहियो वाली गाड़ी भी !!
जैसे LPG गैस से गाड़ी चलती है वैसे मैथेन गैस से
भी गाड़ी चलती है !तो न्यायधीश को विश्वास नहीं हुआ !
तो राजीव भाई ने कहा आप अगर आज्ञा दो तो आपकी कार
मे मेथेन गैस का सिलंडर लगवा देते हैं !! आप चला के देख
लो ! उन्होने आज्ञा दी और राजीव भाई ने लगवा दिया !
और जज साहब ने 3 महीने गाड़ी चलाई ! और उन्होने
कहा its excellent ! क्यूंकि खर्चा आता है मात्र 50 से
60 पैसे किलोमीटर और डीजल से आता है 4 रुपए
किलो मीटर ! मेथेन गैस से गाड़ी चले तो धुआँ बिलकुल
नहीं निकलता ! डीजल गैस से चले तो धुआँ ही धुआँ !! मेथेन
से चलने वाली गाड़ी मे शोर बिलकुल नहीं होता ! और डीजल
से चले तो इतना शोर होता है कान फट जाएँ !! तो ये सब
जज साहब की समझ मे आया !!
तो फिर हमने कहा रोज का 10 किलो गोबर एकठ्ठा करे
तो एक साल मे कितनी मेथेन गैस मिलती है ?? और 20 साल
मे कितनी मिलेगी और भारत मे 17 करोड़ गाय है सबका गोबर
एक साथ इकठ्ठा करे और उसका ही इस्तेमाल करे तो 1
लाख 32 हजार करोड़ की बचत इस देश को होती है !
बिना डीजल ,बिना पट्रोल के हम पूरा ट्रांसपोटेशन इससे
चला सकते हैं ! अरब देशो से भीख मांगने की जरूरत
नहीं और पट्रोल डीजल के लिए अमेरिका से डालर खरीदने
की जरूरत नहीं !!अपना रुपया भी मजबूत !
तो इतने सारे calculation जब राजीव भाई ने बंब्बाड कर
दी सुप्रीम कोर्ट पर तो जज ने मान लिया गाय
की ह्त्या करने से ज्यादा उसको बचाना आर्थिक रूप से
लाभकारी है !
_____________________________
जब कोर्ट की opinion आई तो ये मुस्लिम कसाई लोग
भड़क गए उनको लगा कि अब केस उनके हाथ से
गया क्यूंकि उन्होने कहा था कि गाय का कत्ल
करो तो 7000 हजार कि इन्कम ! और इधर राजीव भाई ने
सिद्ध कर दिया कत्ल ना करो तो लाखो करोड़ो की इन्कम !!
और फिर उन्होने ने अपना trump card खेला !! उन्होने
कहा की गाय का कत्ल करना हमारा धार्मिक अधिकार है
(this is our religious right )
तो राजीव भाई ने कोर्ट मे कहा अगर ये इनका धार्मिक
अधिकार है तो इतिहास मे पता करो कि किस – किस मुस्लिम
राजा ने अपने इस धार्मिक अधिकार का प्रयोग किया ??
तो कोर्ट ने कहा ठीक है एक कमीशन बैठाओ हिस्टोरीयन
को बुलाओ और जीतने मुस्लिम राजा भारत मे हुए
सबकी history निकालो दस्तावेज़ निकालो !और किस किस
राजा ने अपने इस धार्मिक अधिकार का पालण किया ?
तो पुराने दस्तावेज़ जब निकाले गए तो उससे
पता चला कि भारत मे जितने भी मुस्लिम राजा हुए एक ने
भी गाय का कत्ल नहीं किया ! इसके उल्टा कुछ राजाओ ने
गायों के कत्ल के खिलाफ कानून बनाए ! उनमे से एक का नाम
था बाबर ! बाबर ने अपनी पुस्तक बाबर नामा मे लिखवाया है
कि मेरे मरने के बाद भी गाय के कत्ल का कानून
जारी रहना चाहिए ! तो उसके पुत्र हुमायु ने भी उसका पालण
किया और उसके बाद जितने मुगल राजा हुए सबने इस कानून
का पालन किया including ओरंगजेब !!
फिर दक्षिण भारत मे एक राजा था हेदर आली !टीपू सुल्तान
का बाप !! उनसे एक कानून बनवाया था कि अगर कोई गाय
की ह्त्या करेगा तो हैदर उसकी गर्दन काट देगा और हैदर
अली ने ऐसे सेकड़ो कासयियो की गर्दन काटी थी जिन्होने
गाय को काटा था फिर हैदर अली का बेटा आया टीपू सुलतान
तो उसने इस कानून को थोड़ा हल्का कर दिया तो उसने
कानून बना दिया की हाथ काट देना ! तो टीपू सुलतान के
समय में कोई भी अगर गाय काटता था तो उसका हाथ काट
दिया जाता था |
तो ये जब दस्तावेज़ जब कोर्ट के सामने आए तो राजीव भाई
ने जज साहब से कहा कि आप जरा बताइये अगर इस्लाम मे
गाय को कत्ल करना धार्मिक अधिकार होता तो बाबर
तो कट्टर ईस्लामी था 5 वक्त की नमाज पढ़ता था हमायु
भी था ओरंगजेब तो सबसे ज्यादा कट्टर था ! तो इनहोने
क्यूँ नहीं गाय का कत्ल करवाया और क्यूँ ? गाय का कत्ल
रोकने के लिए कानून बनवाए ??? क्यूँ हेदर अली ने
कहा कि वो गाय का कत्ल करने वाले के हाथ काट देगा ??
तो राजीव भाई ने कोर्ट से कहा कि आप हमे आज्ञा दें
तो हम ये कुरान शरीफ ,हदीस,आदि जितनी भी पुस्तके है
हम ये कोर्ट मे पेश करते हैं और कहाँ लिखा है गाय का कत्ल
करो ये जानना चाहतें है ! और आपको पता चलेगा कि इस्लाम
की कोई भी धार्मिक पुस्तक मे नहीं लिखा है की गाय
का कत्ल करो !
हदीस मे तो लिखा हुआ है कि गाय
की रक्षा करो क्यूंकि वो तुम्हारी रक्षा करती है ! पेगंबर
मुहमद साहब का statement है की गाय अबोल जानवर है
इसलिए उस पर दया करो ! और एक जगह लिखा है गाय
का कत्ल करोगे तो दोझक मे भी जमीन नहीं मिलेगी !मतलब
जहनुम मे भी जमीन नहीं मिलेगी !!
तो राजीव भाई ने कोर्ट से कहा अगर कुरान ये कहती है
मुहम्मद साहब ये कहते हैं हदीस ये कहती है तो फिर ये गाय
का कत्ल कर धार्मिक अधिकार कब से हुआ ?? पूछो इन
कसाईयो से ?? तो कसाई बोखला गए ! और राजीव भाई ने
कहा अगर मक्का मदीना मे भी कोई किताब हो तो ले आओ
उठा के !!
अंत कोर्ट ने उनको 1 महीने का पर्मिशन दिया की जाओ
और दस्तावेज़ ढूंढ के लाओ जिसमे लिखा हो गाय का कत्ल
करना इस्लाम का मूल अधिकार है ! हम मान लेंगे !! और एक
महीने तक भी कोई दस्तावेज़ नहीं मिला !! कोर्ट ने कहा अब
हम ज्यादा समय नहीं दे सकते ! और अंत 26 अक्तूबर
2005 judgement आ गया !! और आप चाहें
तो judgement की copy
www. supremecourtcaselaw . com पर जाकर
download कर सकते हैं !
ये 66 पनने का judgement है सुप्रीम कोर्ट ने एक
इतिहास बाना दिया और उन्होंने कहा की गाय
को काटना सांविधानिक पाप है धार्मिक पाप है ! और सुप्रीम
कोर्ट ने कहा गौ रक्षा करना,सर्वंधन करना देश के प्रत्येक
नागरिक का सांविधानिक कर्त्तव्य है ! सरकार का तो है
ही नागरिकों का भी सांविधानिक कर्तव्य है ! अब तक
जो संविधानिक कर्तव्य थे जैसे , संविधान का पालन
करना ,राष्ट्रीय ध्वज ,का सम्मान करना ,क्रांतिकारियों
का समान करना ,देश की एकता , अखंडता को बनाए रखना !
आदि आदि अब इसमे गौ की रक्षा करना भी जुड़ गया है !!
सुप्रीम कोर्ट ने कहा की भारत की 34 राज्यों कीसरकार
की जिमेदारी है की वो गाय का कतल आपने आपने राज्य में
बंद कराये और किसी राज्य में गाय का कतल होता है तो उस
राज्य के मुख्यमंत्री की जिमेदारी है राज्यपाल
की जावबदारी,चीफ सेकेट्री की जिमेदारी है, वो अपना काम
पूरा नहीं कर रहे है तो ये राज्यों के लिए सविधानिक
जवाबदारी है और नागरिको के लिए सविधानिक कर्त्तव्य
है !!
अब कानून दो सतर पर बनाये जाते हैं एक जो केद्र सरकार
बना सकती है और एक 35 राज्यों की राज्य सरकार
बना सकती है अपने आपने राज्यों में !! अगर केंद्र सरकार
ही बना दे !! तो किसी राज्य सरकार को बनाने की जरूरत
नहीं ! केंद्र सरकार का कानून पूरे देश मे लागू होगा ! तो आप
सब केंद्र सरकार पर दबाव बनाये !! जब तक केंद्र सरकार
नहीं बनाती तब तक आप अपने अपने राज्य की सरकारों पर
दबाव बनाये ! दबाव कैसे बनाना है ???
आपको हजारो ,लाखो की संख्या मे
प्रधानमंत्री ,राष्ट्रपति या राज्य के मुख्यमंत्री को पत्र
लिखना है और इतना ही कहना है की 26 अक्तूबर 2005
को जो सुप्रीम कोर्ट का judgment आया है उसे लागू
करो !!
आप अपने -आस पड़ोस ,गली गाँव ,मुहल्ला ,शहर मे
लोगो से बात करनी शुरू करे उनको गाय का महत्व समझाये !!
देश के लिए गाय का आर्थिक योगदान बताएं ! और
प्रधानमंत्री ,राष्ट्रपति या राज्य के मुख्यमंत्री को पत्र
लिखने का निवेदन करें ! इतना दबाव डालें की 2014 के
चुनाव मे लोगो उसी सरकार को वोट दें जो इस सुप्रीम कोर्ट
के गौ ह्त्या के खिलाफ judgement को पूरे देश मे लागू
करें !
और अंत उस क्रांतिकारी मंगल पांडे ने इतिहास
बना वो फांसी पर चढ़ गया लेकिन गाय की चर्बी के कारतूस
उसने अपने मुंह से नहीं खोले ! और जिस अंग्रेज़
अधिकारी ने उसको मजबूर किया उसको मंगल पांडे ने
गोली मर दी !! तो हमने
कहा था कि हमारी तो आजादी का इतिहास शुरू होता है
गौ रक्षा से !! इसलिए गाय की रक्षा उतनी ही महत्वपूर्ण है
जितनी हमारी आजादी !
आपने पूरी post पढ़ीं बहुत बहुत धन्यवाद !!
यहाँ जरूर click कर देखें !!! http://
http://www.youtube.com/watch?v=i7xaTCfA7js
अमर बलिदानी राजीव दीक्षित जी की जय !!
वन्देमातरम , जय गौ माता !
____________________
“जन-जागरण लाना है तो इस पोस्ट को LIKE और Share
करना न भूले।”
_________________________
विदेशी बिकाऊ मीडिया न्यूज़ ट्रेडर्स व हिन्दू धर्म
विरोधी अखबार या टीवी कनेक्सन अपने घर पर मंगावाने
या लगाने की बजाय आप स्वदेशी व हिन्दूवादी “मासिक
पत्रिका” राजीव दीक्षित न्यूज़ अपने घर वार्षिक स्तर पर
लगाये !!! आपको मिलेगी धर्म, स्वास्थ्य, स्वदेशी भारत
निर्माण, राजीनीति की हकीकत सच्चाई बयान करती भारत
की अद्धभूत और ज्ञान वर्धक
जानकारी जो विदेशी दल्लाल पैड न्यूज़
मीडिया आपको कभी भी न ही पढ़ने को देता हैं, न
ही कभी दिखाता हैं !!! @Rajiv Dixit News के वार्षिक
Subscription हेतु अपना पूरा नाम-पिता का नाम, पूरा पता,
पिन कोड, दो फोन नं. सहित इस email पर आज ही भेजे दे
► rajivdixitmp3.com@gmail.com
Facebook :- http://on.fb.me/1m7WUl3
twitter :- https://twitter.com/rajivsandesh
website :- https://www.rajivdixitm
जयगुरुदेव
Day: August 18, 2014
आँखे खोलो इंडिया

यदि अंग्रेजो और गद्दार मौलाना जवाहर नेहरुद्दीन की कहानी को माना जाये तो आज नेताजी की पुण्यतिथि है। मगर नेताजी की मृत्यु पर विवाद को देखते हुए अटल सरकार ने 1999 में मनोज कुमार मुखर्जी के नेतृत्व में आयोग बनाया । 2005 में ताइवान सरकार ने मुखर्जी आयोग को बता दिया कि 1945 में ताइवान की भूमि पर कोई हवाई जहाज दुर्घटनाग्रस्त हुआ ही नहीं था। 2005 में मुखर्जी आयोग ने मनमोहन सरकार को अपनी रिपोर्ट पेश की जिसमें उन्होंने कहा कि नेताजी की मृत्यु उस विमान दुर्घटना में होने का कोई सबूत नहीं हैं। लेकिन कांग्रेस सरकार ने मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया।
नेताजी सुभाषचंद्र बोस की तथाकथित पुण्यतिथि पर देश के गद्दार नेहरु के विचार आप से साझा कर रहा हूँ ताकि आप को पता चले की कांग्रेसी दलालों ने देश के वीरों बलिदानियों और भारत माता का कितना अपमान किया है। जब जुलाई 1945 में देश की आजादी के लिए नेता जी ने बंगाल पर आक्रमण की धमकी दी तो नेहरु ने कोलकत्ता की एक जनसभा में कहा था
” यदि सुभाष इस और से आयेगा तो मैं हाथ में तलवार लेकर उसका मुकाबला करूँगा।”
इसीलिए मैं आज भी नेहरु को देश का गद्दार और सुभाष चन्द्र बोस का भारत का सच्चा क्रांतिकारी मानता हूँ।। अंग्रेजो के समनांतर सेना खड़ा करना वैश्विक और सामरिक कूटनिति में प्रवीण नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का ही काम हो सकता है नेहरु जैसे अंग्रेजो की दलाली कर जेल में आमलेट का नाश्ता करने वाले मीर जाफर की औलाद का नहीं।।
नेता जी के करीबी रिश्तेदारों और उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार प्रभु श्री राम की नगरी अयोध्या के एक मंदिर में रहने वाले गुमनामी बाबा ही नेता जी सुभाष चन्द्र बोस थे।। भारत सरकार को अब देशहित में नेताजी के मृत्यु से सम्बन्धी दस्तावेज सार्वजनिक कर देना चाहिए।।
Dhruva Maharaj
Dhruva, was an ardent young devotee of Vishnu, a prince blessed to eternal existence and glory as the Pole Star (Dhruva Nakshatra in Sanskrit) by Lord Vishnu. The story of Dhruva’s life is often told to Hindu children as an example for perseverance, devotion, steadfastness and fearlessness. The original sources are Vishnu Purana and Srimad Bhagavatam , Canto 4.
Rigveda mentions the word ‘Dhruva'(having two meanings : “pole star” and “fixed”) dozens of times, and it is uncertain whether the pole star has been explicitly mentioned anywhere in the Vedas. Grihya-Sutra, Mahābhārata, Surya Siddhanta, etc., however, mention Dhruva as the pole star. Panini mentions Dhruva as “a fixed point from which a departure takes place”.
Frustration & Resolve of five-year old Dhruva
Dhruva was born a son of the King Uttānpāda (who was the son of Svayambhuva Manu) and his wife Suniti. The king also had another son Uttama, born to his second queen Suruchi, who was the preferred object of his affection. Once, when Dhruva was but a child of five years of age, the two princes playfully raced towards their father’s lap. But, the headstrong Suruchi chided Dhruva and insulted him for trying to woo the attention of his father, when he did not deserve it because “he was not born to her.” She further mocked at his plight, by asking him to redeem himself by seeking Vishnu’s blessings.
Suniti consoled the distraught child, by asking him to take Suruchi’s words seriously and to observe penance in meditation of the Lord. She bid him farewell as he set out on a lonely journey to the forest. Dhruva was determined to seek for himself his rightful place, and noticing this resolve, the divine sage Narada appeared before him and tried to desist him from assuming a severe austerity upon himself at such a tender age. But, Dhruva’s fierce determination knew no bounds, and the astonished sage guided him towards his goal by teaching him the rituals and mantras. The one mantra which Narada taught and which was effectively used by Dhruva was OM NAMO BHAGAVTE VĀSUDEVĀYA . Vishnu Purana also mentions this same mantra.
Unique World-shaking penance
Having been advised, Dhruva started his penance, and went without food and water for six months, his mind fixed on the Lord. The austerity of his penance shook the heavens and the Lord appeared before him, but the child would not open his eyes because he was still merged in his inner vision of Vishnu’s form described to him by Narada. Lord Vishnu had to adopt a strategy of causing that inner vision to disappear. Immediately Dhruva opened his eyes and– seeing outside what he was all along seeing inside his mental vision– prostrated before the Lord. But he could not utter a single word. The Lord touched his right cheek by his divine conch and that sparked off his speech. Out poured forth a beautiful poem of praise of the Lord in 12 powerful verses, which together are called Dhruva-stuti.
Vishnu Purana gives a slightly different account here. When Vishnu was pleased with Dhruva’s tapasya and asked him to ask for a varadāna (grant of wishes), Dhruva said that that he (being an uneducated child) did not know how to sing the praise of Lord Vishnu, and therefore asked the varadāna of a knowledge of stuti (hymn in the praise of Vishnu). Other persons would have asked for worldly or heavenly pleasures, or for moksha at most, but Dhruva had no personal desire. Renunciation of all desires in regarded to be essential for eternal peace in Hinduism (and in Buddhism) : this is the meaning of Dhruva-pada (spiritual pole star).That reason why the saptarshis decided to give the most revered seat of Pole Star to this six year old child.
The Dhruva-stuti as mentioned in the Vishnu Purana is an extended version of Vedic Purusha-sukta and is quite different from the Dhruva-stuti of Srimad Bhagavatam.
Having spent a long time in the Lord’s remembrance he even forgot the objective of his penance, and only asked for a life in memory of the Lord. Pleased by his penance and by his stuti, Vishnu granted his wish and further decreed that the lad would attain Dhruvapada – the state where he would become a celestial body which would not even be touched by the Maha Pralaya, or the final cataclysm.
King Dhruva
Dhruva returned to his kingdom, to be warmly received by his family, and attained the crown at the tender age of six. After decades of ruling the country in a fair and just manner, Dhruva left his mortal coils and became the “North Star” (“Polaris”, or “Pole Star”), as sanctified by the Lord.
क्या ” चाँदमियां ” उर्फ सांई की मूर्ति,
Shirdi Sai Baba – भारत के इतिहास का सबसे बड़ा पाखंड
क्या ” चाँदमियां ” उर्फ सांई की मूर्ति,
मस्जिद में लग सकती है ?
गिरजाघर में लग सकती है ?
चर्च में लग सकती है ?
गुरूद्वारे में लग सकती है ?
तो मन्दिर में क्यों ?
क्या हिन्दू धर्म कोई धर्मशाला है ?
मित्रों,
ये धर्मयुद्ध है
और श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है ,
धर्मयुद्ध में
कोई निर्पेक्ष नहीं रह सकता है
जो धर्म के साथ नहीं है,
समझो वो धर्म के विरूद्ध खडा है
मित्रों, सांई के प्रति समर्पण एक हिन्दू के लिए आत्मघात के तुल्य है ।जो लोग आपको सांई / चाँद मियां की ओर धकेल रहे है ।
ये सब हमारे धर्म के विरुद्ध एक षङयन्त्र के अन्तर्गत हो रहा है ।
जय श्री कृष्ण
धर्म की जय हो अधर्म का नाश हो |

MAHABHARATA WAS A REAL WAR IN 3100BCE !!
![JEWELS OF BHARATAM ....SERIES [TM]
MAHABHARATA WAS A REAL WAR IN 3100BCE !!
The Mahabharata is the longest known epic poem and has been described as "the longest poem ever written". Its longest version consists of over 100,000 shloka or over 200,000 individual verse lines (each shloka is a couplet), and long prose passages. About 1.8 million words in total, the Mahabharata is roughly ten times the length of the Iliad and the Odyssey combined, or about four times the length of the Ramayana.
The epic is traditionally ascribed to the sage Vyasa, who is also a major character in the epic. Vyasa described it as being itihāsa (history). He also describes the Guru-shishya parampara, which traces all great teachers and their students of the Vedic times.](https://fbcdn-sphotos-d-a.akamaihd.net/hphotos-ak-xpf1/v/t1.0-9/s526x296/10574477_811614842193422_6089336468019035986_n.jpg?oh=34464e5c4926ccd9b731de378a5a9a79&oe=54752BCB&__gda__=1416574838_a9b671dd5c173dc8668c3496391d678b)
JEWELS OF BHARATAM ….SERIES [TM]
MAHABHARATA WAS A REAL WAR IN 3100BCE !!
The Mahabharata is the longest known epic poem and has been described as “the longest poem ever written”. Its longest version consists of over 100,000 shloka or over 200,000 individual verse lines (each shloka is a couplet), and long prose passages. About 1.8 million words in total, the Mahabharata is roughly ten times the length of the Iliad and the Odyssey combined, or about four times the length of the Ramayana.
The epic is traditionally ascribed to the sage Vyasa, who is also a major character in the epic. Vyasa described it as being itihāsa (history). He also describes the Guru-shishya parampara, which traces all great teachers and their students of the Vedic times.
मरने के 47 दिन बाद आत्मा पहुंचती है यमलोक, ये होता है रास्ते में…

मरने के 47 दिन बाद आत्मा पहुंचती है यमलोक, ये होता है रास्ते में…
मृत्यु एक ऐसा सच है जिसे कोई भी झुठला नहीं सकता। हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद स्वर्ग-नरक कीमान्यता है। पुराणों के अनुसार जो मनुष्य अच्छे कर्म करता है, वह स्वर्ग जाता है, जबकि जो मनुष्य जीवन भर बुरे कामों में लगा रहता है, उसे यमदूत नरक में ले जाते हैं। सबसे पहले जीवात्मा को यमलोक ले जाया जाता है। वहां यमराज उसके पापों के आधार पर उसे सजा देते हैं।
मृत्यु के बाद जीवात्मा यमलोक तक किस प्रकार जाती है, इसका विस्तृत वर्णन गरुड़ पुराण में है। गरुड़ पुराण में यह भी बताया गया है कि किस प्रकार मनुष्य के प्राण निकलते हैं और किस तरह वह पिंडदान प्राप्त कर प्रेत का रूप लेता है।
– गरुड़ पुराण के अनुसार जिस मनुष्य की मृत्यु होने वाली होती है, वह बोल नहीं पाता है। अंत समय में उसमें दिव्य दृष्टि उत्पन्न होती है और वह संपूर्ण संसार को एकरूप समझने लगता है। उसकी सभी इंद्रियां नष्ट हो जाती हैं। वह जड़ अवस्था में आ जाता है, यानी हिलने-डुलने में असमर्थ हो जाता है। इसके बाद उसके मुंह से झाग निकलने लगता है और लार टपकने लगती है। पापी पुरुष के प्राण नीचे के मार्ग से निकलते हैं।
– मृत्यु के समय दो यमदूत आते हैं। वे बड़े भयानक, क्रोधयुक्त नेत्र वाले तथा पाशदंड धारण किए होते हैं। वे नग्न अवस्था में रहते हैं और दांतों से कट-कट की ध्वनि करते हैं। यमदूतों के कौए जैसे काले बाल होते हैं। उनका मुंह टेढ़ा-मेढ़ा होता है। नाखून ही उनके शस्त्र होते हैं। यमराज के इन दूतों को देखकर प्राणी भयभीत होकर मलमूत्र त्याग करने लग जाता है। उस समय शरीर से अंगूष्ठमात्र (अंगूठे के बराबर) जीव हा हा शब्द करता हुआ निकलता है।
– यमराज के दूत जीवात्मा के गले में पाश बांधकर यमलोक ले जाते हैं। उस पापी जीवात्मा को रास्ते में थकने पर भी यमराज के दूत भयभीत करते हैं और उसे नरक में मिलने वाली यातनाओं के बारे में बताते हैं। यमदूतों की ऐसी भयानक बातें सुनकर पापात्मा जोर-जोर से रोने लगती है, किंतु यमदूत उस पर बिल्कुल भी दया नहीं करते हैं।
– इसके बाद वह अंगूठे के बराबर शरीर यमदूतों से डरता और कांपता हुआ, कुत्तों के काटने से दु:खी अपने पापकर्मों को याद करते हुए चलता है। आग की तरह गर्म हवा तथा गर्म बालू पर वह जीव चल नहीं पाता है। वह भूख-प्यास से भी व्याकुल हो उठता है। तब यमदूत उसकी पीठ पर चाबुक मारते हुए उसे आगे ले जाते हैं। वह जीव जगह-जगह गिरता है और बेहोश हो जाता है। इस प्रकार यमदूत उस पापी को अंधकारमय मार्ग से यमलोक ले जाते हैं।
– गरुड़ पुराण के अनुसार यमलोक 99 हजार योजन (योजन वैदिक काल की लंबाई मापने की इकाई है। एक योजन बराबर होता है, चार कोस यानी 13-16 कि.मी) दूर है। वहां पापी जीव को दो- तीन मुहूर्त में ले जाते हैं। इसके बाद यमदूत उसे भयानक यातना देते हैं। यह याताना भोगने के बाद यमराज की आज्ञा से यमदूत आकाशमार्ग से पुन: उसे उसके घर छोड़ आते हैं।
– घर में आकर वह जीवात्मा अपने शरीर में पुन: प्रवेश करने की इच्छा रखती है, लेकिन यमदूत के पाश से वह मुक्त नहीं हो पाती और भूख-प्यास के कारण रोती है। पुत्र आदि जो पिंड और अंत समय में दान करते हैं, उससे भी प्राणी की तृप्ति नहीं होती, क्योंकि पापी पुरुषों को दान, श्रद्धांजलि द्वारा तृप्ति नहीं मिलती। इस प्रकार भूख-प्यास से बेचैन होकर वह जीव यमलोक जाता है।
– जिस पापात्मा के पुत्र आदि पिंडदान नहीं देते हैं तो वे प्रेत रूप हो जाती हैं और लंबे समय तक निर्जन वन में दु:खी होकर घूमती रहती है। काफी समय बीतने के बाद भी कर्म को भोगना ही पड़ता है, क्योंकि प्राणी नरक यातना भोगे बिना मनुष्य शरीर नहीं प्राप्त होता। गरुड़ पुराण के अनुसार मनुष्य की मृत्यु के बाद 10 दिन तक पिंडदान अवश्य करना चाहिए। उस पिंडदान के प्रतिदिन चार भाग हो जाते हैं। उसमें दो भाग तो पंचमहाभूत देह को पुष्टि देने वाले होते हैं, तीसरा भाग यमदूत का होता है तथा चौथा भाग प्रेत खाता है। नवें दिन पिंडदान करने से प्रेत का शरीर बनता है। दसवें दिन पिंडदान देने से उस शरीर को चलने की शक्ति प्राप्त होती है।
– गरुड़ पुराण के अनुसार शव को जलाने के बाद पिंड से हाथ के बराबर का शरीर उत्पन्न होता है। वही यमलोक के मार्ग में शुभ-अशुभ फल भोगता है। पहले दिन पिंडदान से मूर्धा (सिर), दूसरे दिन गर्दन और कंधे, तीसरे दिन से हृदय, चौथे दिन के पिंड से पीठ, पांचवें दिन से नाभि, छठे और सातवें दिन से कमर और नीचे का भाग, आठवें दिन से पैर, नवें और दसवें दिन से भूख-प्यास उत्पन्न होती है। यह पिंड शरीर को धारण कर भूख-प्यास से व्याकुल प्रेतरूप में ग्यारहवें और बारहवें दिन का भोजन करता है।
– यमदूतों द्वारा तेरहवें दिन प्रेत को बंदर की तरह पकड़ लिया जाता है। इसके बाद वह प्रेत भूख-प्यास से तड़पता हुआ यमलोक अकेला ही जाता है। यमलोक तक पहुंचने का रास्ता वैतरणी नदी को छोड़कर छियासी हजार योजन है। उस मार्ग पर प्रेत प्रतिदिन दो सौ योजन चलता है। इस प्रकार 47 दिन लगातार चलकर वह यमलोक पहुंचता है। मार्ग में सोलह पुरियों को पार कर पापी जीव यमराज के घर जाता है।
– इन सोलह पुरियों के नाम इस प्रकार है – सौम्य, सौरिपुर, नगेंद्रभवन, गंधर्व, शैलागम, क्रौंच, क्रूरपुर, विचित्रभवन, बह्वापाद, दु:खद, नानाक्रंदपुर, सुतप्तभवन, रौद्र, पयोवर्षण, शीतढ्य, बहुभीति। इन सोलह पुरियों को पार करने के बाद यमराजपुरी आती है। पापी प्राणी यमपाश में बंधा मार्ग में हाहाकार करते हुए यमराज पुरी जाता है
Src : Internet
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
Update sponsored by ★ Gulatii Caterings ★
( ⇒ Call: 09999944855 , 09210896940 ⇐ )
( Pure Vegetarian High Class Catering for All Occasions )
https://www.facebook.com/pages/Gulatii-Caterers/393932263964223
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
Please SHARE
Visit : www,lalkitab,pw ( #LalKitab #Astrology #Future #Horoscope #Gemstone#Astro #Rudraksha #Jyotish #Hindu #Hinduism #Vedic #Mantra #Yantra#Astrologer #Tantra #Free #Yoga #Indian #India )
AAP
AAP की वेबसाइट पर गलत झण्ङा गलती से
लगा.
कश्मीर भारत से गायब, AAP से
गलती हो गयी..
दिल्ली से धोखा देकर भागा, AAP से
गलती हो गयी..
पाकिस्तान का झंडा वेब पर, AAP से
गलती हो गयी..
नक्सलवादियों को अधिकारिक सदस्यता,
AAP से गलती हो गयी..
अफजल को बचाने का प्रयास, AAP से
गलती हो गयी..
बंगलौर बम काण्ङ के आतकवादियों को जमानत
दिलाने में हाथ, AAP से गलती हो गयी..
वोट बैंक के लिए ISI के गुर्गे बुखारी के तलवे चाटे,
AAP से गलती हो गयी..
वोट बैंक के लिए हिन्दू व सिख धर्म का सरे आम
मजमा लगाकर मजाक उड़ाया गया, AAP से
यहाँ पर भी गलती हो गयी..
देखा जाये तो असली गलती तो देश
की जनता से हो गयी जो इन नकाब पोशों व
पाकिस्तान की फंडिंग से खड़ी हुई
पार्टी को हमने देश हित की पार्टी मान
लिया..
सब कुछ गलती ही है, असल में AAP की पैदाइश
ही एक गलती है.. नजायज, कांग्रेस की औलादें
ऊपर- ऊपर से तो कांग्रेस को गलियाँ देते हैं और
चुपचाप जाकर फिर कांग्रेस की ही गोद में मुँह
छुपाकर बैठ जाते हैं !!
_________________
** जय माँ भारती **
_________________
_________________
आखिर अफगानीस्तान से हिंदू क्यों मिट गया?

आखिर अफगानीस्तान से हिंदू क्यों मिट गया?
काबुल जो भगवान राम के पुत्र कुश का बनाया शहर था, आज वहाँ एक भी मंदिर नही बचा !
गांधार जिसका विवरण महाभारत मे है, जहां की रानी गांधारी थी, आज उसका नाम कंधार हो चूका है, और वहाँ आज एक भी हिंदू नही बचा !
कम्बोडिया जहां राजा सूर्य देव बर्मन ने दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर अंकोरवाट बनाया, आज वहाँ भी हिंदू नही है !
बाली द्वीप मे 20 साल पहले तक 90% हिंदू थे, आज सिर्फ 20% बचे है !
कश्मीर घाटी मे सिर्फ 20 साल पहले 50% हिंदू थे, आज एक भी हिंदू नही बचा !
केरल मे 10 साल पहले तक 60% जनसंख्या हिन्दुओ की थी, आज सिर्फ 10% हिंदू केरल मे है !
नोर्थ ईस्ट जैसे सिक्किम, नागालैंड, आसाम आदि मे हिंदू हर रोज मारे या भगाए जाते है, या उनका धर्मपरिवर्तन हो रहा है !
मित्रों, 1569 तक ईरान का नाम पारस या पर्शिया होता था और वहाँ एक भी मुस्लिम नही था, सिर्फ पारसी रहते थे.. जब पारस पर मुस्लिमो का आक्रमण होता था, तब पारसी बूढ़े-बुजुर्ग अपने नौजवान को यही सिखाते थे की हमे कोई मिटा नही सकता, लेकिन ईरान से सारे के सारे पारसी मिटा दिये गए.
धीरे-धीरे उनका कत्लेआम और धर्म-परिवर्तन होता रहा. एक नाव मे बैठकर 21 पारसी किसी तरह गुजरात के नवसारी जिले के उद्वावाडा गांव मे पहुचे और आज पारसी सिर्फ भारत मे ही गिनती की संख्या मे बचे है.
हमेशा शांति की भीख मांगने वाले हिन्दुओं… आजतक के इतिहास का सबसे बड़ा संकट हिन्दुओं पर आने वाला है, ईसाईयों के 80 देश और मुस्लिमो के 56 देश है, और हिन्दुओं का एकमात्र देश भारत ही अब हिन्दुओं के लिए सुरक्षित नहीं रहा.
भारत को एक फ़ोकट की धर्मशाला बना दिया गया है, जहाँ इसके मेजबान हिन्दू ही बहुत जल्दी मुस्लिम सेना तैयार करने वाली संस्था PFI द्वारा शुरू होने वाले गृहयुद्ध में कश्मीर की तरह पुरे भारत में हिन्दुओं के हाथ-पैर काट दिए जायेंगे, आंखे निकाल ली जाएँगी, और कश्मीर की ही तरह उनकी सुरक्षा के लिए कही पर भी सरकार नाम की संस्था कोई भी सेना नहीं भेजेगीे, हिन्दू खुद तो ख़तम हो रहा है और समस्त विश्व के कल्याण की बकवास करता फिरता है, जबकि समूचा विश्व उसको पूरी तरह निगल लेने की पूरी तैयारी कर चूका है…
आज तक हिन्दू जितनी अधिक उदारता और सज्जनता दिखलाता रहा है, उसको उतना ही कायर और मुर्ख मानकर उस पर अन्याय और हर तरह का धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक विश्वासघात किया जाता रहा है..
…और हिन्दू है कि आंख बंद करके बस कहावतों में जिंदा रहकर बस भगवान के शांति स्वरूपं की पूजा करते-करते सच में नपुंसक बन चूका है..
जबकि हमारे किसी भी देवी देवता का स्वरुप अश्त्र-शस्त्र के बिना नहीं है, हमारे धर्म में धर्म की परिभाषा के 10 लक्षणों में अहिंसा नाम का कोई शब्द ही नहीं है, रक्षा धर्म ही हम हिन्दुओ की रक्षा कर सकता है…
इसके बाद भी अति भाग्यवादी, अवतारवादी हिन्दुओं ने आज तक अपनी दुर्दशा के इतिहास से कोई सबक न लेकर आज भी सेकुलार्ता का नशा लेकर मुर्छित होकर जी रहा है, और अपने ही शुभचिंतक भाइयों को सांप्रदायिक कहकर उनसे नपुंसक बनने की सीख देता फिरता है..!!
aap
#AAP की वेबसाइट पर गलत झण्ङा गलती से लगा..
कश्मीर भारत से गायब, AAP से गलती हो गयी..
दिल्ली से धोखा देकर भागे, AAP से गलती हो गयी..
पाकिस्तान का झंडा वेब पर, AAP से गलती हो गयी..
नक्सलवादियों को अधिकारिक सदस्यता, AAP से गलती हो गयी..
अफजल को बचाने का प्रयास, AAP से गलती हो गयी..
बंगलौर बम काण्ङ के आतकवादियों को जमानत दिलाने में हाथ, AAP से गलती हो गयी..
वोट बैंक के लिए ISI के गुर्गे बुखारी के तलवे चाटे, AAP से गलती हो गयी..
वोट बैंक के लिए हिन्दू व सिख धर्म का सरे आम मजमा लगाकर मजाक उड़ाया गया, AAP से यहाँ पर भी गलती हो गयी..
देखा जाये तो असली गलती तो देश की जनता से हो गयी जो इन नकाब पोशों व पाकिस्तान की फंडिंग से खड़ी हुई पार्टी को हमने देश हित की पार्टी मान लिया..
सब कुछ गलती ही है, असल में AAP की पैदाइश ही एक गलती है.. नजायज, #कांग्रेस की औलादें ऊपर- ऊपर से तो कांग्रेस को गलियाँ देते हैं और चुपचाप जाकर फिर कांग्रेस की ही गोद में मूह छुपाकर बैठ जाते हैं,
आप मित्रों का क्या कहना है ?
शेयर करें, जय हिन्द, जय भारत..