Posted in भारतीय मंदिर - Bharatiya Mandir

पशुपतिनाथ मंदिर


पशुपतिनाथ मंदिर काठमांडू (नेपाल) के पूर्वी हिस्से में बागमती नदी के तट पर स्थित है। यह मंदिर हिन्दू धर्म के आठ सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। नेपाल में यह भगवान शिव का सबसे पवित्र मंदिर है। मंदिर दुनिया भर के हिन्दू तीर्थ यात्रियों के अलावा गैर हिन्दू पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी रहा है। यह मंदिर यूनेस्को विश्व सांस्कृतिक विरासत स्थल की सूची में शामिल है।====================================महत्त्वपशुपतिनाथ मंदिर में आने वाले गैर हिन्दू आगंतुकों को बागमती नदी के दूसरे किनारे से बाहर से मंदिर को देखने की अनुमति है। नेपाल में भगवान शिव का यह मंदिर विश्वभर में विख्यात है। इसका असाधारण महत्त्व भारत के अमरनाथ व केदारनाथसे किसी भी प्रकार कम नहीं है। इस अंतर्राष्ट्रीय तीर्थ के दर्शन के लिए भारत के ही नहीं, अपितु विदेशों के भी असंख्य यात्री और पर्यटक काठमांडू पहुंचते हैं। इस नगर के चारों ओर पर्वत मालाएँ हैं, जिनकी घाटियों में यह नगर अपना पर्वतीय सौंदर्य को बिखेरने के लिए थोड़ी-सी भी कंजूसी नहीं करता।========================================मंदिर संरचनाप्राचीन समय इस नगर का नाम ‘कांतिपुर’ था। काठमांडू में बागमती व विष्णुमती नदियों का संगम है। मंदिर का शिखर स्वर्णवर्णी छटा बिखेरता रहता है। इसके साथ ही डमरू और त्रिशूल भी प्रमुख है। मंदिर एक मीटर ऊँचे चबूतरे पर स्थापित है। मंदिर के चारों ओर पशुपतिनाथ जी के सामने चार दरवाज़े हैं। दक्षिणी द्वार पर तांबे की परत पर स्वर्ण जल चढ़ाया हुआ है। बाकी तीन पर चांदी की परत है। मंदिर की संरचना चौकोर आकार की है। मंदिर की दोनों छतों के चार कोनों पर उत्कृष्ट कोटि की कारीगरी से सिंह की आकृति उकेरी गई है। मुख्य मंदिर में महिष रूपधारी भगवान शिव का शिरोभाग है, जिसका पिछला हिस्सा केदारनाथ में है। इस प्रसंग का उल्लेख स्कंदपुराण में भी हुआ है। मंदिर का अधिकतर भाग काष्ठ से निर्मित है। गर्भगृह में पंचमुखी शिवलिंग का विग्रह है, जो अन्यत्र नहीं है। मंदिर परिसर में अनेक मंदिर हैं, जिनमें पूर्व की ओर गणेश का मंदिर है। मंदिर के प्रांगण कीदक्षिणी दिशा में एक द्वार है, जिसके बाहर एक सौ चौरासी शिवलिंगों की कतारें हैं।============================================लिंग विग्रहपशुपतिनाथ मंदिर के दक्षिण में उन्मत्त भैरव के दर्शन भैरव उपासकों के लिए बहुतकल्याणकारी है। पशुपतिनाथ लिंग विग्रह में चार दिशाओं में चार मुख और ऊपरी भाग में पाँचवाँ मुख है। प्रत्येक मुखाकृति के दाएँ हाथ में रुद्राक्ष की माला और बाएँ हाथ में कमंडल है। प्रत्येक मुख अलग-अलग गुण प्रकट करता है। पहला मुख ‘अघोर’ मुख है, जो दक्षिण की ओर है। पूर्व मुख को ‘तत्पुरुष’ कहते हैं। उत्तर मुख ‘अर्धनारीश्वर’ रूप है। पश्चिमी मुख को ‘सद्योजात’ कहा जाता है। ऊपरी भाग ‘ईशान’ मुख के नाम से पुकारा जाता है। यह निराकार मुख है। यही भगवान पशुपतिनाथ का श्रेष्ठतम मुख है।पशुपतिनाथ मंदिर की सेवा आदि के लिए 1747 से ही नेपाल के राजाओं ने भारतीयब्राह्मणों को आमंत्रित करना शुरू किया। उनकी धारणा थी कि भारतीय ब्राह्माण हिन्दू धर्मशास्त्रों और रीतियों में ज्यादा पारंगत होते हैं। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए ‘माल्ला राजवंश’ के एक राजा ने एक दक्षिण भारतीय ब्राह्मण को पशुपतिनाथ मंदिर का प्रधान पुरोहित नियुक्त किया था। यही परंपरा आने वाले दिनोंमें भी रही। दक्षिण भारतीय भट्ट ब्राह्मण ही इस मंदिर के प्रधान पुजारी नियुक्तहोते रहे हैं।पढ़ने के लिए धन्यवाद,जानकारी अपने मित्रों तक भी पहुँचाए…!!

जय पशुपतिनाथ

पशुपतिनाथ मंदिर काठमांडू (नेपाल) के पूर्वी हिस्से में बागमती नदी के तट पर स्थित है। यह मंदिर हिन्दू धर्म के आठ सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। नेपाल में यह भगवान शिव का सबसे पवित्र मंदिर है। मंदिर दुनिया भर के हिन्दू तीर्थ यात्रियों के अलावा गैर हिन्दू पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी रहा है। यह मंदिर यूनेस्को विश्व सांस्कृतिक विरासत स्थल की सूची में शामिल है।====================================महत्त्वपशुपतिनाथ मंदिर में आने वाले गैर हिन्दू आगंतुकों को बागमती नदी के दूसरे किनारे से बाहर से मंदिर को देखने की अनुमति है। नेपाल में भगवान शिव का यह मंदिर विश्वभर में विख्यात है। इसका असाधारण महत्त्व भारत के अमरनाथ व केदारनाथसे किसी भी प्रकार कम नहीं है। इस अंतर्राष्ट्रीय तीर्थ के दर्शन के लिए भारत के ही नहीं, अपितु विदेशों के भी असंख्य यात्री और पर्यटक काठमांडू पहुंचते हैं। इस नगर के चारों ओर पर्वत मालाएँ हैं, जिनकी घाटियों में यह नगर अपना पर्वतीय सौंदर्य को बिखेरने के लिए थोड़ी-सी भी कंजूसी नहीं करता।========================================मंदिर संरचनाप्राचीन समय इस नगर का नाम 'कांतिपुर' था। काठमांडू में बागमती व विष्णुमती नदियों का संगम है। मंदिर का शिखर स्वर्णवर्णी छटा बिखेरता रहता है। इसके साथ ही डमरू और त्रिशूल भी प्रमुख है। मंदिर एक मीटर ऊँचे चबूतरे पर स्थापित है। मंदिर के चारों ओर पशुपतिनाथ जी के सामने चार दरवाज़े हैं। दक्षिणी द्वार पर तांबे की परत पर स्वर्ण जल चढ़ाया हुआ है। बाकी तीन पर चांदी की परत है। मंदिर की संरचना चौकोर आकार की है। मंदिर की दोनों छतों के चार कोनों पर उत्कृष्ट कोटि की कारीगरी से सिंह की आकृति उकेरी गई है। मुख्य मंदिर में महिष रूपधारी भगवान शिव का शिरोभाग है, जिसका पिछला हिस्सा केदारनाथ में है। इस प्रसंग का उल्लेख स्कंदपुराण में भी हुआ है। मंदिर का अधिकतर भाग काष्ठ से निर्मित है। गर्भगृह में पंचमुखी शिवलिंग का विग्रह है, जो अन्यत्र नहीं है। मंदिर परिसर में अनेक मंदिर हैं, जिनमें पूर्व की ओर गणेश का मंदिर है। मंदिर के प्रांगण कीदक्षिणी दिशा में एक द्वार है, जिसके बाहर एक सौ चौरासी शिवलिंगों की कतारें हैं।============================================लिंग विग्रहपशुपतिनाथ मंदिर के दक्षिण में उन्मत्त भैरव के दर्शन भैरव उपासकों के लिए बहुतकल्याणकारी है। पशुपतिनाथ लिंग विग्रह में चार दिशाओं में चार मुख और ऊपरी भाग में पाँचवाँ मुख है। प्रत्येक मुखाकृति के दाएँ हाथ में रुद्राक्ष की माला और बाएँ हाथ में कमंडल है। प्रत्येक मुख अलग-अलग गुण प्रकट करता है। पहला मुख 'अघोर' मुख है, जो दक्षिण की ओर है। पूर्व मुख को 'तत्पुरुष' कहते हैं। उत्तर मुख 'अर्धनारीश्वर' रूप है। पश्चिमी मुख को 'सद्योजात' कहा जाता है। ऊपरी भाग 'ईशान' मुख के नाम से पुकारा जाता है। यह निराकार मुख है। यही भगवान पशुपतिनाथ का श्रेष्ठतम मुख है।पशुपतिनाथ मंदिर की सेवा आदि के लिए 1747 से ही नेपाल के राजाओं ने भारतीयब्राह्मणों को आमंत्रित करना शुरू किया। उनकी धारणा थी कि भारतीय ब्राह्माण हिन्दू धर्मशास्त्रों और रीतियों में ज्यादा पारंगत होते हैं। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए 'माल्ला राजवंश' के एक राजा ने एक दक्षिण भारतीय ब्राह्मण को पशुपतिनाथ मंदिर का प्रधान पुरोहित नियुक्त किया था। यही परंपरा आने वाले दिनोंमें भी रही। दक्षिण भारतीय भट्ट ब्राह्मण ही इस मंदिर के प्रधान पुजारी नियुक्तहोते रहे हैं।पढ़ने के लिए धन्यवाद,जानकारी अपने मित्रों तक भी पहुँचाए...!!

जय पशुपतिनाथ
Posted in नहेरु परिवार - Nehru Family

सोनिया गाँधी


जब सोनिया गाँधी को नेपाल ने
पशुपतिनाथ के मंदिर में घुसने
नहीं दिया ….
सोनिया गांधी के कारण की भारत के
साथ नेपाल के संबंधो में 90 के दशक में
कटुता आ गयी थी ..
एक विदेशी औरत
की निजी महत्वकांक्षा के कारण …
हमने अपना एक महत्वपूर्ण
पडोसी खो दिया था ……..
जिसका फायदा चीन ने और पकिस्तान
ने उठाया ……
…..बात उस समय की है जब राजीव
गाँधी प्रधान मन्त्री थे
और नेपाल की यात्रा पर गये थे
वहाँ सोनिया गाँधी पशुपति नाथ
मन्दिर के दर्शन करनेँ गयी
किन्तु हिन्दू न होनेँ के कारण मन्दिर के
पुजारियोँ नेँ उन्हेँ मन्दिर मेँ प्रवेश न
करनेँ दिया
और राजीव गाँधी का दबाब भी काम न
आया वहाँ से अपमानित होकर भारत
आयी सोनिया नेँ राजीव के कान भरभर
कर नेपाल पर संधि समीक्षा के नाम पर
प्रतिबन्ध लगवा दिया जिसके
परिणाम स्वरुप नेपाल मेँ
महँगायी का हाहाकार मच गया और
नमक भी 200 रु Kg बिकनेँ लगा और आम
नेपालियोँ के मन मेँ भारत के
प्रति घृणा के भाव आ गये
जिसका फायदा चीन नेँ उठाकर
वहाँ माओवाद का जन्म दिया और उन्हेँ
हथियार सप्लाई कर सर्म्पूण नेपाल
को अशान्ति और युद्ध की आग मेँ झोँक
दिया जिसके कारण नेपाल भारत से दूर
और चीन के करीबी होनेँ लगा
……… और ये सब सिर्फ एक औरत के कारण
ही हुआ जिसका नाम
सोनिया गाँधी है !

Posted in आयुर्वेद - Ayurveda

सिर्फ दो मिनट में ही उतर जाएगा बिच्छू का जहर….!


सिर्फ दो मिनट में ही उतर जाएगा बिच्छू का जहर….!

गर्मियों के आते ही जहरीले कीड़े मकोड़े जमीन के अन्दर से निकल कर बाहर घूमने लगते हैं। उन्हें जहां भी अपने लिए सही वातावरण मिलता है वे वहीं पर अपना ठिकाना बना लेते है। कई जहरीले कीड़े ऐसे होते है जो अगर किसी को काट लें तो उनका जहर उतारना बड़ा ही मुश्किल होता है।

उन्हीं में से एक है बिच्छु, बिच्छु का जहर बहुत खतरनाक होता है।उसके काटने के बाद पूरे शरीर में जलन होने लगती है और उसका शिकार बुरी तरह से तड़पने लगता है। कुछ छोटे लेकिन बड़े काम के नुस्खे हैं जो आपको बिच्छु के जहर से बचा सकते हैं।

* जानवरों के काटने व सांप, बिच्छू, जहरीले कीड़ों के काटे स्थान पर अपामार्ग के पत्तों और मूल का ताजा रस लगाने और पत्तों का रस 2 चम्मच की मात्रा में 2 बार पिलाने से विष का असर तुरंत घट जाता है और जलन तथा दर्द में आराम मिलता है।

1. पत्थर पर दो-चार बूँद पानी की डालकर उस पर निर्मली या इमली के बीज को घिसें। उस घिसे हुए पदार्थ को दर्दवाले स्थान पर लगायें एवं जहाँ बिच्छू ने डंक मारा हो वहाँ घिसा हुआ बीज चिपका दें। दो मिनट में ही बिच्छू का विष नष्ट हो जायेगा और रोता हुआ मनुष्य भी हँसने लगेगा।

2. पोटेशियम परमैंगनेट एवं नींबू के फूल (साइट्रिक एसिड) को बारीक पीसकर अलग-अलग बॉटल में भरकर रखें। बिच्छू के डंक पर मूँग के दाने जितने नींबू के फूल का पाउडर एवं पोटेशियम परमैंगनेट का मूँग के दाने जितना पाउडर रखें। ऊपर से एक बूँद पानी भी डालें। थोड़ी देर में उभार आकर विष उतर जायेगा। यह अदभुत दवा है।

3. एक पत्थर को अच्छे से साफ कर उस उस पर फिटकरी को अच्छे से घिसें। जहां पर बिच्छु ने काटा है उस जगह पर इस लेप को लगाऐं और आग से थोड़ा सेकें । कैसे भी बिच्छु का जहर हो इस विधि से जहर दो मिनिट में उतर जाएगा।

4. बारीक पिसा सेंधा नमक और प्याज को मिलाकर बिच्छु के काटे हुए स्थान पर लगाने से जहर उतर जाता है।

5. माचिस की पांच सात तीलियों का मसाला पानीमें घिसकर बिच्छु के डंक लगी जगह पर लगाऐं। इसे लगाते ही बिच्छु का जहर तुरंत उतर जाता है।

विशेष- जब किसी को बिच्छु काट ले तो तुरंत उस जगह को करी चार उंगल ऊपर से किसी कपड़े से या रस्सी से बांध देना चाहिए। ताकि उसका जहर जल्दी न फैले। इसके बाद किसी साफ सेफ्टी पिन या चिमटी को गर्म करके त्वचा में घुसे ड़ंक को निकाल देन चाहिए।

सिर्फ दो मिनट में ही उतर जाएगा बिच्छू का जहर....!

गर्मियों के आते ही जहरीले कीड़े मकोड़े जमीन के अन्दर से निकल कर बाहर घूमने लगते हैं। उन्हें जहां भी अपने लिए सही वातावरण मिलता है वे वहीं पर अपना ठिकाना बना लेते है। कई जहरीले कीड़े ऐसे होते है जो अगर किसी को काट लें तो उनका जहर उतारना बड़ा ही मुश्किल होता है।

उन्हीं में से एक है बिच्छु, बिच्छु का जहर बहुत खतरनाक होता है।उसके काटने के बाद पूरे शरीर में जलन होने लगती है और उसका शिकार बुरी तरह से तड़पने लगता है। कुछ छोटे लेकिन बड़े काम के नुस्खे हैं जो आपको बिच्छु के जहर से बचा सकते हैं।

* जानवरों के काटने व सांप, बिच्छू, जहरीले कीड़ों के काटे स्थान पर अपामार्ग के पत्तों और मूल का ताजा रस लगाने और पत्तों का रस 2 चम्मच की मात्रा में 2 बार पिलाने से विष का असर तुरंत घट जाता है और जलन तथा दर्द में आराम मिलता है।

1. पत्थर पर दो-चार बूँद पानी की डालकर उस पर निर्मली या इमली के बीज को घिसें। उस घिसे हुए पदार्थ को दर्दवाले स्थान पर लगायें एवं जहाँ बिच्छू ने डंक मारा हो वहाँ घिसा हुआ बीज चिपका दें। दो मिनट में ही बिच्छू का विष नष्ट हो जायेगा और रोता हुआ मनुष्य भी हँसने लगेगा।

2. पोटेशियम परमैंगनेट एवं नींबू के फूल (साइट्रिक एसिड) को बारीक पीसकर अलग-अलग बॉटल में भरकर रखें। बिच्छू के डंक पर मूँग के दाने जितने नींबू के फूल का पाउडर एवं पोटेशियम परमैंगनेट का मूँग के दाने जितना पाउडर रखें। ऊपर से एक बूँद पानी भी डालें। थोड़ी देर में उभार आकर विष उतर जायेगा। यह अदभुत दवा है।

3. एक पत्थर को अच्छे से साफ कर उस उस पर फिटकरी को अच्छे से घिसें। जहां पर बिच्छु ने काटा है उस जगह पर इस लेप को लगाऐं और आग से थोड़ा सेकें । कैसे भी बिच्छु का जहर हो इस विधि से जहर दो मिनिट में उतर जाएगा।

4. बारीक पिसा सेंधा नमक और प्याज को मिलाकर बिच्छु के काटे हुए स्थान पर लगाने से जहर उतर जाता है।

5. माचिस की पांच सात तीलियों का मसाला पानीमें घिसकर बिच्छु के डंक लगी जगह पर लगाऐं। इसे लगाते ही बिच्छु का जहर तुरंत उतर जाता है।

विशेष- जब किसी को बिच्छु काट ले तो तुरंत उस जगह को करी चार उंगल ऊपर से किसी कपड़े से या रस्सी से बांध देना चाहिए। ताकि उसका जहर जल्दी न फैले। इसके बाद किसी साफ सेफ्टी पिन या चिमटी को गर्म करके त्वचा में घुसे ड़ंक को निकाल देन चाहिए।