मुसलमान अपने धर्मग्रन्थ ‘कुरान’ में कही बातों को मानते है
ईसाई अपने धर्मग्रन्थ ‘बाइबिल’ में कही बातों को मानते है
सिख अपने धर्मग्रन्थ ‘गुरुग्रंथ साहिब’ में कही बातों को मानते है
और एक सनातनी हिन्दू होने के नाते मेरा भी ये फर्ज बनता है कि
मैं अपने धर्मग्रन्थ ‘गीता’ को मानू और मेरे धर्मग्रन्थ ‘गीता’ में लिखा है-
भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को कहते है:
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥
अर्थात, हे भारत, जब जब धर्म का लोप होता है, और अधर्म बढता है तब तब धर्म की रक्षा तथा साधु पुरुषो के कल्याण के लिए मैं अवतार लेकर पापियों और दुष्टो का विनाश करता हूँ ..
साईं को अवतार मानने वाले कृपया बताने का कष्ट करे कि ‘ये चाँद मियां आखिर किन पापियों और दुष्टो का विनाश करके धर्म की रक्षा किया है जो तुमलोग इस मुल्ले को अवतार मान रहे हो’ ???
अंधभक्त हिन्दुओं अगर तुम्हारे अंदर किसी सनातनी हिन्दू का खून होगा तो शायद तुम श्रीमद्भागवत गीता में कही गयी बातों का प्रतिकार नहीं करोगे।।
