
(फाइल फोटो: कल्पना चावला)
इंटरनेशनल डेस्क। एक फरवरी 2003 की सुबह ऐसी खबर लेकर आई, जिसने पूरी दुनिया को दुखी और स्तब्ध कर दिया। ये वो दिन है, जब नासा की महत्वकांक्षी स्पेस शटल कोलंबिया पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते ही ब्लास्ट कर टुकड़े-टुकड़े हो गया था। हादसे में इसमें भारतीय मूल की अंतरिक्ष वैज्ञानिक कल्पना चावला समेत सभी छह अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई थी।
हादसे में मारी जाने वाली कल्पना चावला इस मिशन की अहम सदस्य थी। एक जुलाई 1961 में हरियाणा के करनाल कस्बे में उनका जन्म हुआ। कल्पना अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय मूल की महिला थीं।
हादसे के 10 साल बाद हुआ अहम खुलासा
नासा के मिशन कंट्रोल रूम को मालूम था कि कल्पना चावला और उनकी टीम पृथ्वी पर सुरक्षित नहीं आ पाएगी। और तो और अंतरिक्ष यात्रियों को इस बात की जानकारी तक नहीं दी गई। हादसे के करीबन 10 साल बाद अंतरिक्ष शटल कोलंबिया के प्रोग्राम मैनेजर रहे वेन हेल ने इस बात का खुलासा किया।
हेल ने अपने ब्लॉग में लिखा, “शटल कोलंबिया में ऐसी खराबी आ गई थी, जिसकी मरम्मत नहीं हो सकती थी। शटल इंटरनेशनल स्पेस सेंटर से भी बहुत दूर था, इसलिए रोबोटिक आर्म से भी खराबी दूर नहीं करवा सकते थे।” अमेरिकी न्यूज चैनल एबीसी के मुताबिक, हेल एकमात्र व्यक्ति हैं, जिन्होंने सार्वजनिक तौर पर गलती मानी।
हेल के खुलासे ने नासा पर कई सवाल खड़े कर दिए। दरअसल, इस सनसनीखेज खुलासे के बाद नासा ने न तो इसका खंडन किया और न ही इसके प्रोग्राम मैनेजर हेल की बात को सही करार दिया।