स्वरूपानंद सरस्वती ने एक बहुत बड़ी बहस छेड़ दी है , उनके मंतव्य कुछ भी हों , दो व्यापारिक प्रतिद्व्न्दियों के झगड़े में यदि सच सामने आ रहा है तो समाज का ही भला हो रहा है , कुछ बिन्दुवार तथ्य :-
1. शिर्डी साईं बाबा , एक मुस्लिम फ़कीर जिसने पूरे जीवन भिक्षा मांगकर बिताया और समाज की भलाई के बारे में सोचा , और धर्म से परे सबका मान पाया !!
2. ऐतिहासिक तथ्य , साईं चरित्र पुस्तक , उनके शिष्य अब्दुल की उर्दू में लिखी हुई डायरियां ये सब स्थापित करती हैं की साईं नमाज़ भी पढ़ते थे और मांसाहार भी !!
3. 1922 में कुछ स्वार्थी हिन्दुओं ने अब्दुल को मज़ार से बेदखल कर उस भवन को मंदिर के रूप में और साईं को राम के अवतार के रूप में स्थापित कर दिया और वहीँ से शुरू हुई ये महान मार्केटिंग गाथा !!
4. हिन्दू धर्म में जहाँ किसी का शव दफ़न हो वहां कोई भी वैदिक क्रिया कलाप भी नहीं हो सकते मंदिर बनना तो दूर की बात है !!
5. आज शिर्डी के इस तथाकथित मंदिर में हाजी अली की कव्वालियां भी होती हैं और शिव के भजन भी , अब सेक्युलर सोच वालों के लिए इससे अच्छा तो कुछ और हो ही नहीं सकता , पर बंधू ये सब करना है तो कोई हॉल किराये से लेकर भी कर सकते हो , “मंदिर” बनाने और साईं को भगवान के रूप में स्थापित करने की क्या ज़रुरत है ? क्या किसी धर्म की शुद्धता गैर जरूरी विषय है ?
6. शिर्डी के अलावा किसी भी और साईं मंदिर में जाइए , वहां ना तो यज्ञ होते हैं ना शिव का अभिषेक होता है ना ही कोई और वैदिक अनुष्ठान , होती है है तो सिर्फ साईं आरती ? क्यों ? खैर मुझे उससे भी आपत्ति नहीं है पर क्या वहां जाने वाले भोले भाले भक्त को ये बात पता है की ये हिन्दू मंदिर नहीं है ? क्या साईं ट्रस्ट ऐसा कोई प्रयत्न करता है की लोगों को साईं के बारे में सही जानकारी दे ? या तो आप अपना एक अलग ही संप्रदाय घोषित कर दीजिये पर हमें पता है वो “धंधे” के लिए मुनाफेदार नहीं होगा !!
7. हमें साईं के लिए आपत्ति नहीं , वे एक महान व्यक्तित्व थे पर महापुरुष होने में और भगवन होने में अंतर नहीं है क्या ? हिन्दू धर्म की मूल अवधारणा का पालन यदि आज नहीं हुआ तो १०० साल बाद हर एरा गैरा संत अपने आप को भगवान कहलाने लगेगा !!
8 अंत में , इसे हिन्दू मुस्लिम चश्मे से मत देखिये , पूरा साईं के नाम का कारोबार एक बहुत बड़ा “चंदा घोटाला” है जिसमे दोषी सिर्फ कुछ स्वार्थी हिन्दू हैं जिन्होंने सिर्फ पिछले कुछ दशकों में साईं को ब्रह्मा विष्णु महेश केसमकक्ष खड़ा कर दिया , सब पैसे का खेल है !!
9 . आज आप दस लोग मिलकर एक साईं मंदिर खोलिए , दफ्तर में १०० रूपए के स्टाम्प पर उसकी रजिस्ट्री ट्रस्ट के रूप में करवा लीजिये और आपका भी धंधा शुरू हो जायेगा क्योंकि आने वाला पूरा का पूरा चढ़ावा सिर्फ और सिर्फ आपका है !! है ना मजेदार धंधा